क्या हैं नए नियम?
बैलेंस चेक की लिमिट:
अब UPI यूजर्स एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैलेंस चेक कर सकेंगे। इससे अनावश्यक ट्रैफिक और नेटवर्क पर बोझ को कम किया जाएगा। यह सीमा सभी बैंक और UPI ऐप्स पर लागू होगी।
ऑटो-पे के लिए समय स्लॉट तय:
अब तक UPI पर ऑटो-पे (जैसे कि EMI, OTT सब्सक्रिप्शन आदि) दिन के किसी भी समय किया जा सकता था, लेकिन अब ये केवल निर्धारित समय स्लॉट्स में ही किया जा सकेगा। इससे ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग में बेहतर नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
फेल पेमेंट का स्टेटस चेक:
अगर किसी कारणवश आपका पेमेंट फेल हो जाता है या अटक जाता है, तो उसका स्टेटस आप केवल तीन बार ही चेक कर सकते हैं – और वो भी हर बार 90 सेकंड के अंतराल पर। इससे सिस्टम पर अनावश्यक लोड कम होगा और तकनीकी गड़बड़ियों को नियंत्रित किया जा सकेगा।
NPCI का उद्देश्य क्या है?
NPCI के मुताबिक, ये बदलाव डिजिटल भुगतान प्रणाली को अधिक स्मार्ट और यूज़र-फ्रेंडली बनाने की दिशा में एक कदम हैं। अक्सर देखा जाता है कि भारी संख्या में बार-बार बैलेंस चेक करने या ट्रांजैक्शन स्टेटस देखने से सर्वर पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे सेवा में बाधा आती है। नए नियम इन समस्याओं को सीमित करने के लिए लाए गए हैं।
यूजर्स को क्या करना चाहिए?
बार-बार बैलेंस चेक करने की आदत में बदलाव लाना होगा।
ट्रांजैक्शन करने के बाद स्टेटस को सोच-समझकर ही चेक करें।
ऑटो-पे की टाइमिंग की जानकारी रखें और जरूरत पड़ने पर उसे रीशेड्यूल करें।
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