1. ॐ गं गणपतये नमः
यह मंत्र गणेश जी का सबसे सरल और प्रभावशाली बीज मंत्र है। इसका जाप विघ्नों को हरने और मन को स्थिरता देने के लिए किया जाता है। गणपति की कृपा प्राप्त करने के लिए यह मंत्र सर्वोत्तम माना जाता है।
2. ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
यह मंत्र भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है। ‘वक्रतुण्ड’ अर्थात जिसका मुख वक्र है, ‘महाकाय’ अर्थात विशाल शरीर वाला, ‘सूर्यकोटि समप्रभ’ अर्थात सूर्य के करोड़ों प्रकाश के समान तेजस्वी। यह मंत्र हर कार्य में सफलता और निर्विघ्नता की कामना करता है।
3. ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
यह मंत्र गणेश जी के एकदंत स्वरूप का ध्यान कराकर शक्ति और बुद्धि को जागृत करता है। ‘धिमीहि’ का अर्थ है ध्यान करना और ‘प्रचोदयात्’ का अर्थ है प्रेरित करना। इसका जाप करने से मन की शक्ति और समझदारी बढ़ती है।
4. गजाननाय पूर्णाय साङ्ख्यरूपमयाय ते । विदेहेन च सर्वत्र संस्थिताय नमो नमः ॥
यह मंत्र गणेश जी के गजानन स्वरूप की महिमा बताता है, जो पूर्ण और संपूर्ण हैं। ‘साङ्ख्यरूपमयाय’ का तात्पर्य उनकी अद्भुत ऊर्जा और ज्ञान से है। ‘विदेहेन च सर्वत्र संस्थिताय’ से ज्ञात होता है कि वे सर्वत्र, निःस्वार्थ और सार्वभौमिक रूप में विराजमान हैं।
कैसे करें इन मंत्रों का जाप?
बुधवार के दिन स्वच्छ और शांत वातावरण में बैठें। गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और धूप जलाएं। दूर्वा, सिंदूर और मोदक अर्पित करें। प्रत्येक मंत्र का जाप श्रद्धा और समर्पण के साथ करें। आप चाहें तो प्रत्येक मंत्र 11, 21 या 108 बार जप सकते हैं।
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