कैसे हुआ परीक्षण?
यह परीक्षण ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया, जहां भारतीय वायु सेना, थल सेना, डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और रक्षा उद्योग से जुड़े कई विशेषज्ञ उपस्थित थे। मिसाइलों ने अपने प्रक्षेप पथ (trajectory) का पूरी तरह पालन करते हुए सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदा, जो तकनीकी दक्षता और विश्वसनीयता का एक मजबूत प्रमाण है।
प्रलय क्यों है खास?
‘प्रलय’ मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी 150 से 500 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता है। यह 500 से 1,000 किलोग्राम तक का कन्वेंशनल वारहेड (non-nuclear explosive) ले जाने में सक्षम है। यानी, यह मिसाइल दुश्मन के ठिकानों को बेहद कम समय में ध्वस्त करने की ताकत रखती है — वो भी बेहद सटीकता के साथ।
रणनीतिक रूप से क्या बदलेगा?
भारत की युद्धनीति में ‘प्रलय’ जैसी मिसाइल का होना न केवल रक्षा कवच को और मजबूत करता है, बल्कि इससे हमारे प्रत्युत्तर (retaliation) की गति और प्रभाव दोनों में भारी सुधार आएगा। इसका उपयोग भारतीय सेना और वायु सेना दोनों के द्वारा संभावित है, जो इसे एक बहु-आयामी हथियार प्रणाली बनाता है।
0 comments:
Post a Comment