भारत की 'ULPGM-V3' मिसाइल: दुश्मन का काल!

नई दिल्ली। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपनी आधुनिक तकनीक से एक बार फिर भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने वाला हथियार विकसित किया है — ULPGM V3 यानी अल्ट्रा लाइट प्रिसीजन गाइडेड म्यूनिशन वर्जन 3। यह हल्की, लेकिन बेहद सटीक मिसाइल न केवल छोटे और कमजोर लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है, बल्कि इसे अब हेलीकॉप्टर और ड्रोन (UAV) से भी दागा जा सकता है।

ULPGM-V3 क्या है?

ULPGM V3 को खासतौर पर उन लक्ष्यों को टारगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिनका नाश सटीकता और त्वरित कार्रवाई से संभव है, जैसे दुश्मन के सैनिकों का जमावड़ा, हल्के वाहन, संचार और कमांड पोस्ट। इसकी प्रिसीजन गाइडेड तकनीक इसे अत्यधिक सटीक बनाती है, जिससे परिचालित क्षेत्र में साइड डैमेज यानी अनावश्यक collateral damage कम होता है।

हेलीकॉप्टर और ड्रोन से तैनाती

इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है इसकी तैनाती में लचीलापन। अब इसे हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ ड्रोन से भी दागा जा सकता है। हेलीकॉप्टरों से इस मिसाइल का उपयोग शहरी और पहाड़ी इलाकों में कम ऊंचाई पर तेज हमला करने के लिए किया जा सकता है, जहां बड़े विमानों का ऑपरेशन संभव नहीं होता। वहीं, ड्रोन से तैनाती से सेना को दुश्मन के इलाके में गुप्त निगरानी और सटीक हमला करने की क्षमता मिलती है, जो सैनिकों के लिए जोखिम को काफी कम करता है।

रेंज और मारक क्षमता

वर्तमान में ULPGM V3 की रेंज सीमित है, लेकिन DRDO इसके नए वर्जन पर लगातार काम कर रहा है। भविष्य में इसकी मारक क्षमता 18 किलोमीटर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह दूरी हेलीकॉप्टरों और UAVs को दुश्मन की छोटी रेंज की एयर डिफेंस प्रणाली से बाहर रहते हुए सुरक्षित हमले करने में सक्षम बनाएगी। इससे युद्ध के मैदान में सेना को एक नया रणनीतिक लाभ मिलेगा।

सेना के लिए रणनीतिक महत्व

ULPGM V3 के विकास से भारतीय सेना को त्वरित और सटीक हवाई सहायता मिलती है। इसका इस्तेमाल करके जमीनी सैनिकों को तत्काल कवरेज और हमला समर्थन प्रदान किया जा सकता है, जिससे उनकी सुरक्षा और ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ेगी। इसके अलावा, हेलीकॉप्टर और ड्रोन से तैनाती के कारण, पायलट और ऑपरेटर जोखिम कम लेकर अधिक प्रभावी हमले कर पाएंगे।

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