कर्ज में डूबा अमेरिका, भारत को दे रहा आर्थिक ज्ञान

नई दिल्ली। आज के समय में अमेरिका आर्थिक संकट की गहरी खाई में फंसा हुआ है। 37 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज के बोझ तले दबा यह महाशक्ति देश, खुद आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है, फिर भी भारत जैसे विकासशील देश को आर्थिक ज्ञान देने का दावा कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा कर भारत-अमेरिका के बीच व्यापार तनाव को और बढ़ा दिया है।

अमेरिका का बढ़ता कर्ज, बढ़ती चिंताएं

अमेरिका का कुल राष्ट्रीय कर्ज अब 37 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुका है। इसके साथ ही सालाना ब्याज भुगतान की राशि 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। यह बढ़ता हुआ कर्ज अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को आर्थिक ज्ञान दे रहे हैं।

वैश्विक राजनीति और व्यापार पर असर

अमेरिका की कर्ज समस्या ने उसकी वैश्विक आर्थिक रणनीति को भी प्रभावित किया है। चीन के साथ व्यापार युद्ध के दौरान ट्रंप की कुछ नरम नीति भी कर्ज के दबाव को कम करने का हिस्सा मानी जा रही है। वहीं, भारत पर टैरिफ लगाने और रूस को लेकर ट्रंप की कड़ी टिप्पणियां अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों में जटिलता पैदा कर रही हैं।

ट्रंप ने भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाओं को "मरी हुई" बताकर दोनों देशों पर तीखी आलोचना की, जबकि स्वयं अमेरिका कर्ज के गहरे जाल में फंसा है। ये बयान इस तथ्य को उजागर करते हैं कि अमेरिका अपनी आर्थिक चुनौतियों के बावजूद कैसे अन्य देशों को आर्थिक ज्ञान देने का दावा करता है।

कर्ज की समस्या का प्रभाव

वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका का कर्ज संकट न केवल उसकी अपनी अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा है। ऐसे में भारत जैसे विकासशील देशों को आर्थिक ज्ञान देने का दावा करना थोड़ा विडंबनापूर्ण लगता है। असल में, यह वक्त दोनों देशों के लिए जरूरी है कि वे मिलकर आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए ठोस कदम उठाएं, बजाय आरोप लगाने के।

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