भारत नहीं लेगा अमेरिका का 'F-35' फाइटर जेट?

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों में बीते कुछ वर्षों में कई अहम पड़ाव आए हैं। इन संबंधों के केंद्र में अक्सर आधुनिक हथियारों और रक्षा तकनीक की खरीदारी रही है। हाल ही में एक बार फिर यह चर्चा गर्म हो गई कि भारत अमेरिकी F-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने की योजना बना रहा है। कुछ डिफेंस वेबसाइट्स और विश्लेषकों ने दावा किया कि भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को F-35 खरीदने की सलाह दी थी, ताकि चीन के मुकाबले लड़ाकू क्षमताओं के अंतर को कम किया जा सके। लेकिन क्या यह दावा सही है? हालिया रिपोर्ट्स और आधिकारिक बयानों को देखने के बाद तस्वीर कुछ और ही बयां करती है।

F-35 का ऑफर और भारतीय चुप्पी

जब फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F-35 स्टील्थ फाइटर जेट का प्रस्ताव दिया था। यह वही विमान है जिसे अमेरिका "फिफ्थ जनरेशन" फाइटर जेट कहता है और जो इज़रायल जैसे देशों द्वारा युद्ध अभियानों में इस्तेमाल किया जा चुका है। अप्रैल में अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत दौरे के दौरान भी इसी प्रस्ताव को दोहराया।

इन दो दौरों के बीच कई अटकलें तेज़ हो गईं कि भारत जल्द ही इस प्रस्ताव पर निर्णय ले सकता है। कुछ रिपोर्ट्स में यहां तक दावा किया गया कि भारतीय वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर F-35 खरीदने की सिफारिश भी कर दी है। लेकिन NDTV के रक्षा पत्रकार शिव अरूर ने इन सभी दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई आधिकारिक सिफारिश नहीं की गई है।

भारत की रणनीति: स्वदेशी विकल्प?

दरअसल, भारत को स्क्वॉर्डर्न स्ट्रेंथ बनाए रखने के लिए एडवांस फाइटर जेट्स की तत्काल जरूरत है। हालांकि, भारत स्वदेशी विकल्पों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) नामक पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट पर काम चल रहा है, लेकिन यह प्रोजेक्ट अभी शुरुआती चरण में है और इसे ऑपरेशनल होने में लगभग 10 साल लग सकते हैं।

भारत-अमेरिका संबंधों में खटास बढ़ी?

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में खटास बढ़ी है। ताजा घटनाक्रम में ट्रंप प्रशासन ने भारत के खिलाफ 25% टैरिफ लगाने और रूस से कच्चा तेल व हथियार खरीदने पर "जुर्माना" लगाने की बात कही है। इस तरह की नीति भारत को अमेरिका की रक्षा निर्भरता से दूर रखने की ओर संकेत करती है। इसके अलावा भारत पहले ही रूस, फ्रांस और इज़रायल जैसे देशों से हथियार खरीदता रहा है। अमेरिका के साथ बहुत सीमित संख्या में हाई-एंड फाइटर जेट्स की खरीदारी हुई है, और भारत अब खुद को इस दिशा में आत्मनिर्भर बनाना चाहता है।

वायुसेना की स्थिति और आगे का रास्ता

भारतीय वायुसेना के पास आदर्श रूप से 42 स्क्वॉर्डर्न होने चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह संख्या 32 तक सीमित रह गई है। यह एक रणनीतिक खतरा है, खासकर ऐसे समय में जब चीन और पाकिस्तान की वायुसेनाएं तेजी से उन्नत हो रही हैं। हालांकि, सरकार और वायुसेना दोनों इस अंतर को भरने की कोशिश कर रहे हैं। तेजस फाइटर जेट्स की डिलीवरी जारी है, और राफेल का बेड़ा भी धीरे-धीरे ताकत दे रहा है। रक्षा सचिव आरके सिंह ने हाल ही में कहा था कि भारत "किसी मित्र देश" से फिफ्थ जनरेशन फाइटर खरीदने पर विचार कर रहा है, लेकिन उन्होंने अमेरिका या F-35 का जिक्र नहीं किया।

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