विरोध की पृष्ठभूमि
प्रदेशभर में चल रहे स्कूलों के विलय अभियान को लेकर कई जिलों में शिक्षक संगठनों और अभिभावकों ने तीखा विरोध दर्ज कराया। मुख्य आपत्ति यह थी कि विलयित स्कूल बच्चों के घरों से काफी दूर स्थित हैं, जिससे छोटे बच्चों के लिए नियमित रूप से स्कूल जाना मुश्किल हो सकता है। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहाँ परिवहन की सुविधा सीमित है, यह फैसला व्यवहारिक रूप से अनुपयुक्त साबित हो रहा था।
सरकार की नई गाइडलाइन
इस विरोध और जमीनी सच्चाई को देखते हुए उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि अब ऐसे किसी भी विद्यालय का विलय नहीं किया जाएगा जहाँ विद्यालय की दूरी एक किलोमीटर से अधिक है। जहाँ छात्रों की संख्या 50 से अधिक है। इस नई नीति के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि शिक्षा बच्चों के लिए कठिनाई नहीं, बल्कि आसानी का माध्यम बने। छात्रों की भलाई और अभिभावकों की चिंता को प्राथमिकता देते हुए यह दिशा-निर्देश तैयार किया गया है।
फैसले का प्रभाव
इस निर्णय से उन स्कूलों को राहत मिलेगी जो विलय की प्रक्रिया में थे और जहाँ शिक्षक, अभिभावक एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि विरोध कर रहे थे। इसके साथ ही, शिक्षा व्यवस्था में स्थायित्व और भरोसे की भावना को भी बल मिलेगा। यह निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से राहतभरा साबित होगा, जहाँ भौगोलिक दूरी और संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती रही है।
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