यूपी में चकबंदी को लेकर सरकार का बड़ा फैसला

अलीगढ़। उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार और ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए योगी सरकार ने चकबंदी प्रक्रिया को सरल, तेज और पारदर्शी बनाने का निर्णय लिया है। अब तक जिस कार्य को वर्षों लग जाते थे, वह कुछ ही दिनों में पूरा किया जा सकेगा। इसके लिए राज्यभर में एक विशेष चकबंदी पोर्टल तैयार किया गया है, जो तकनीक के माध्यम से जमीनी कार्यों को डिजिटल रूप देगा।

चकबंदी: क्या और क्यों?

चकबंदी का अर्थ है खेतों का पुनर्गठन। इसमें बिखरी हुई और असमान खेतों की जमीन को पुनः व्यवस्थित करके प्रत्येक किसान को एक या दो बड़े भूखंड दिए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य खेतों की खेती योग्यता बढ़ाना, सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि चिह्नित करना और जमीन से जुड़े विवादों को कम करना होता है।

चकबंदी के दौरान गांव की सरकारी और व्यक्तिगत जमीनों का सर्वे किया जाता है। नाली, सड़क, स्कूल, श्मशान, खेल मैदान जैसे सार्वजनिक कार्यों के लिए किसानों से कुछ प्रतिशत जमीन ली जाती है और उसके बदले उन्हें दूसरी जगह भूमि आवंटित की जाती है।

अब डिजिटल होगी चकबंदी

विशेष पोर्टल: एक केंद्रीकृत पोर्टल बनाया गया है जिसमें चकबंदी से संबंधित सभी दस्तावेज जैसे खसरा, खतौनी, नक्शा, सर्वे रिपोर्ट आदि अपलोड होंगे।

ड्रोन और एआई का प्रयोग: जमीन की सटीक माप और रिकॉर्डिंग के लिए ड्रोन से सर्वे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाएगा। इससे भू-रिकॉर्ड की सटीकता और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित होंगी।

GIS पोर्टल का समावेश: भूमि के नक्शे और आंकड़ों को जीआईएस प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा जिससे किसी भी भूमि के वास्तविक स्थिति की डिजिटल निगरानी की जा सकेगी।

लंबे समय से लंबित प्रक्रियाएं होंगी पूरी

अलिगढ़ जिले के कई गांवों में पिछले 10-15 वर्षों से चकबंदी प्रक्रिया लंबित है। खासकर इगलास का साथिनी, कोल का पिलखना व वरहद, गभाना का दहेली जैसे गांवों में यह प्रक्रिया अधूरी है। मुख्य समस्याएं सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे और ग्रामीणों के बीच सहमति की कमी रही हैं। हालांकि अब, जब सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा और समयबद्ध लक्ष्य तय होंगे, तो ऐसी अड़चनें दूर होने की उम्मीद है।

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