यूपी में 'जिला समन्वयक' की भर्ती, 40 हजार सैलरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने निपुण भारत मिशन को ज़मीनी स्तर पर अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रदेश के सभी जिलों में संविदा पर "जिला समन्वयक (निपुण भारत मिशन)" की नियुक्ति की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिक विद्यालयों के छात्र—विशेषकर कक्षा एक और दो के बच्चे—पढ़ने, लिखने और गणितीय मूल क्षमताओं में निपुण बन सकें।

नीति के पीछे सोच

राज्य में वर्तमान में लगभग 1.33 लाख परिषदीय विद्यालय हैं, जिनमें से अब तक केवल 48,061 विद्यालयों को ही "निपुण विद्यालय" घोषित किया गया है। यह आंकड़ा साफ़ दर्शाता है कि मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक सुव्यवस्थित और समर्पित प्रयास की आवश्यकता है। इसी ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने जिला समन्वयकों की नियुक्ति का निर्णय लिया है।

पात्रता और चयन प्रक्रिया

इन समन्वयकों की आयु सीमा 21 से 45 वर्ष निर्धारित की गई है। शैक्षिक योग्यता में उम्मीदवार का एमबीए या पीजीडीएम में मास्टर डिग्री धारक होना आवश्यक है, जिसमें न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक हों। साथ ही, मान्यता प्राप्त संस्थान से एक वर्ष का कंप्यूटर डिप्लोमा और दो वर्षों का कार्यानुभव आवश्यक है। बीएड और एमएड धारकों को वरीयता दी जाएगी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षण अनुभव को प्राथमिकता दी जा रही है।

इन पदों के लिए चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सुव्यवस्थित रखी गई है। जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय समिति अभ्यर्थियों के दस्तावेज़ों का सत्यापन करेगी और उनकी दक्षता की जांच करेगी। अंतिम चयन "जेम पोर्टल" के माध्यम से शासनादेश के अनुसार होगा।

40 हज़ार रुपये मानदेय और ज़िम्मेदारियाँ

इन समन्वयकों को 40,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा, जो इस स्तर की भूमिका और ज़िम्मेदारियों को देखते हुए आकर्षक माना जा सकता है। इनका मुख्य कार्य निपुण भारत मिशन के लक्ष्यों की ज़मीनी निगरानी, विद्यालयों में शिक्षण प्रक्रियाओं की गुणवत्ता सुधारना, और शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के साथ तालमेल बनाकर बच्चों की आधारभूत शिक्षा को मज़बूत बनाना होगा।

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