नई दिल्ली। BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) एक ऐसा संगठन बनकर उभरा है, जिसने वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक संतुलन को चुनौती देना शुरू कर दिया है। हाल ही में इसमें नए सदस्य देशों के शामिल होने की प्रक्रिया और डॉलरी अर्थव्यवस्था से हटकर वैकल्पिक मुद्रा प्रणाली पर जोर ने अमेरिका और पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा दी है। अब सवाल ये है कि आखिर क्यों अमेरिका BRICS से डरता है?
1. डॉलर की बादशाहत को चुनौती
विश्व व्यापार का अधिकांश हिस्सा अमेरिकी डॉलर में होता है, जिससे अमेरिका को आर्थिक रूप से जबरदस्त ताकत मिलती है। लेकिन BRICS अब एक साझा करेंसी या व्यापार के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग पर काम कर रहा है। इससे डॉलर की वैश्विक स्थिति कमजोर हो सकती है, जो अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
2. तेजी से बढ़ती आर्थिक ताकत
BRICS देशों की संयुक्त GDP अब कई मामलों में G7 देशों को टक्कर देने लगी है। चीन और भारत जैसे देशों की आर्थिक वृद्धि, रूस की ऊर्जा शक्ति, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका की प्राकृतिक संसाधन संपन्नता, इन सबने मिलकर BRICS को एक आर्थिक महाशक्ति बना दिया है। यह अमेरिका की आर्थिक एकाधिकार नीति को चुनौती देता है।
3. नई विश्व व्यवस्था की पहल
BRICS देश "नया विश्व व्यवस्था" (New World Order) स्थापित करने की ओर बढ़ रहे हैं जिसमें पश्चिमी देशों की बजाय विकासशील देशों को अधिक प्रतिनिधित्व और अधिकार मिले। अमेरिका को आशंका है कि इससे उसकी वैश्विक नेतृत्व की भूमिका कमजोर हो सकती है।
4. भूराजनीतिक मोर्चे पर चुनौती
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच BRICS देशों की सामूहिक स्थिति ने अमेरिका की कूटनीतिक नीतियों को मुश्किल में डाल दिया है। अमेरिका के दबावों के बावजूद BRICS देश स्वतंत्र विदेश नीति अपना रहे हैं, जिससे अमेरिका का वैश्विक प्रभाव कम हो रहा है।
5. विकासशील देशों का नया मंच
BRICS अब केवल एक आर्थिक संगठन नहीं, बल्कि विकासशील देशों के लिए एक मंच बन चुका है। यह G7 जैसे पश्चिमी संगठनों का वैकल्पिक मंच बनकर उभर रहा है, जिससे अमेरिका के नेतृत्व वाले वैश्विक ढांचे को चुनौती मिल रही है। इससे वैश्विक निर्णय लेने की प्रक्रिया में अमेरिका का वर्चस्व कमजोर हो सकता है।
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