अमेरिका का 'सुपरपावर' प्लान, भारत को मौका, चीन सन्न

नई दिल्ली। दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर होड़ तेज़ हो चुकी है। इस दौड़ में अमेरिका ने एक बार फिर आक्रामक रुख अपनाया है, और इस बार कमान संभाली है राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने। चीन को पछाड़ने की रणनीति के तहत ट्रंप ने एक नया AI एक्शन प्लान लॉन्च किया है, जिसका मकसद अमेरिका को AI तकनीक में ग्लोबल लीडर बनाना है। लेकिन इस प्लान का एक बड़ा सरप्राइज भारत के लिए छिपा है—एक ऐसा मौका, जो देश की टेक्नोलॉजी पोजिशन को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।

AI प्लान की बुनियाद: टेक्नोलॉजी, डेटा और सहयोग

फॉर्च्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के इस एक्शन प्लान के तहत अमेरिका में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जाएगा। इसमें बड़े स्तर पर डेटा सेंटर्स की स्थापना, रिसर्च लैब्स का निर्माण और सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन को गति देना शामिल है। इसके साथ ही, कुछ AI नियमों में ढील देकर इसे सहयोगी देशों के लिए भी सुलभ बनाने की योजना है।

भारत के लिए क्या है मौका?

बाइडन प्रशासन के दौरान भारत को अमेरिकी टेक कंपनियों से तकनीक, खासकर चिप्स और क्लाउड सेवाओं तक पहुंच में कई तरह की सीमाएं झेलनी पड़ी थीं। लेकिन ट्रंप ने मई में इन पाबंदियों को हटा दिया। इसका सीधा फायदा भारत की टेक इंडस्ट्री को मिलेगा। अब इंडियन कंपनियों को आसानी से GPU, AI एक्सेलरेटर और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर मिल सकेंगे।  इससे हेल्थकेयर, एजुकेशन और एग्रीटेक में AI का तेजी से उपयोग बढ़ सकता है। स्टार्टअप्स को अमेरिकी तकनीक और फंडिंग का लाभ मिल सकता है। 

भारत को क्या करना होगा?

मौका बड़ा है, लेकिन चुनौती भी कम नहीं। भारत को अब केवल उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि एक AI निर्माता राष्ट्र बनना होगा। इसके लिए कुछ अहम कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञों की मानें तो सरकार को एक नेशनल AI कंप्यूट ग्रिड बनानी होगी, जिससे स्टार्टअप्स और संस्थान आसानी से कंप्यूटिंग संसाधनों तक पहुंच बना सकें।

निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर देशभर में हाई-कैपेसिटी डेटा सेंटर्स स्थापित करने होंगे। अमेरिका और ताइवान जैसे देशों के साथ मिलकर चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगानी होंगी। क्लियर रेगुलेटरी गाइडलाइंस और टैक्स इंसेंटिव AI इनोवेशन को रफ्तार दें सकते हैं।

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