Akash MK-2: जानिए भारत के इस मिसाइल की ताकत?

नई दिल्ली। भारत की रक्षा क्षमताओं में लगातार हो रहे सुधारों की कड़ी में ‘आकाश एमके-2’ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह स्वदेशी रूप से विकसित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, देश की वायु रक्षा को और अधिक मजबूत और आत्मनिर्भर बना रही है। आकाश एमके-1 की तुलना में कई तकनीकी उन्नतियों और सामरिक खूबियों से लैस आकाश एमके-2 भारतीय सेना और वायु सेना के लिए एक भरोसेमंद कवच के रूप में उभर रही है।

तकनीकी उन्नयन और मारक क्षमता

आकाश एमके-2 की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में इसकी अधिकतम गति मैक 3.5 और 35 किलोमीटर की मारक सीमा शामिल है। यह इसे पहले संस्करण की तुलना में कहीं अधिक प्रभावशाली और दूरगामी बनाता है। इससे यह मिसाइल विमानों, यूएवी (ड्रोन) और क्रूज मिसाइल जैसे विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों का तुरंत और सटीक जवाब देने में सक्षम हो गई है।

स्वदेशी सीकर: आत्मनिर्भर की उड़ान

इस संस्करण में नवीन स्वदेशी सीकर का समावेश किया गया है, जो लक्ष्य की पहचान और भेदन की सटीकता को अत्यधिक बढ़ाता है। यह सीकर मिसाइल की सिंगल शॉट किल प्रोबेबिलिटी (SSKP) में बड़ा सुधार लाता है, जिससे पहली ही कोशिश में लक्ष्य को भेदने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

कमांड मार्गदर्शन और रडार समन्वय

आकाश एमके-2 अब भी कमांड मार्गदर्शन प्रणाली का उपयोग करती है, जो इसे युद्धक्षेत्र में लचीलापन प्रदान करती है। लक्ष्य निर्धारण के लिए यह फेज्ड ऐरे रडार (Phased Array Radar) पर निर्भर करती है, जो तेज़ प्रतिक्रिया और उच्चतर सटीकता सुनिश्चित करता है।

नेटवर्क-केंद्रित वायु रक्षा प्रणाली

इस मिसाइल प्रणाली को अन्य रक्षा प्रणालियों जैसे हवाई चेतावनी रडार और बैटल मैनेजमेंट सिस्टम के साथ जोड़कर नेटवर्क-केंद्रित रक्षा प्रणाली में तब्दील किया गया है। इसका अर्थ है कि आकाश एमके-2 अब एक अलग-थलग मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की व्यापक वायु रक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण और सक्रिय हिस्सा बन चुकी है।

रणनीतिक महत्व क्या हैं?

आज के बदलते सुरक्षा परिदृश्य में, जहां सीमा पर अति-आधुनिक हवाई खतरे उभर रहे हैं, ऐसे में आकाश एमके-2 जैसी प्रणाली भारत को एक रणनीतिक बढ़त प्रदान करती है। इसकी तैनाती से देश की सीमाएं अब और भी अधिक सुरक्षित हो जाएंगी, खासकर जब यह प्रणाली मेक इन इंडिया की भावना को भी मजबूती देती है।

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