'साइलेंट किलर': भारत की ये 3 मिसाइलें दुश्मनों का काल

नई दिल्ली। समुद्र की गहराइयों में छिपी भारत की ताकत अब और भी घातक हो गई है। जल, थल और नभ में अपनी सैन्य क्षमता का लोहा मनवा चुके भारत ने पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलों के क्षेत्र में भी खुद को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित कर लिया है। ‘साइलेंट किलर’ कहे जाने वाली भारत की पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलें – K-15 (सागरिका), K-4 और K-5, देश के परमाणु त्रिकोण (nuclear triad) को मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

1. K-15 सागरिका – भारत की पहली पनडुब्बी-लॉन्च मिसाइल

सागरिका मिसाइल, जिसे तकनीकी रूप से K-15 कहा जाता है, भारत की पहली SLBM (Submarine Launched Ballistic Missile) है। इसे DRDO द्वारा विकसित किया गया है और यह मिसाइल भारत की परमाणु पनडुब्बी INS Arihant से दागी जा सकती है।

रेंज: 750 किमी

वारहेड क्षमता: 500-1,000 किलोग्राम (परमाणु/पारंपरिक)

2. K-4 – मीडियम रेंज की बढ़ती ताकत

K-4 मिसाइल K-15 की तुलना में कहीं अधिक लंबी दूरी और मारक क्षमता वाली है। यह भी INS Arihant और भविष्य की परमाणु पनडुब्बियों से दागी जा सकती है। K-4 की मारक क्षमता इतनी अधिक है कि यह भारतीय तट से काफी दूर रहते हुए भी एशिया के अंदर किसी भी लक्ष्य को भेद सकती है।

रेंज: 3,500 किमी

वारहेड क्षमता: 1 टन तक

विशेषता: हाई एक्युरेसी, MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) की संभावना

3. K-5 – भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता का भविष्य

K-5 मिसाइल अभी विकास के चरण में है, लेकिन इसके बारे में जो जानकारियाँ सामने आई हैं, वे इसे भारत की सबसे ताकतवर SLBM बनाती हैं।

संभावित रेंज: 5,000 किमी

टारगेट: अंतर-महाद्वीपीय क्षमता

विशेषता: पूरी तरह से भारत के परमाणु त्रिकोण को मजबूत बनाना

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