क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा गुणक (Multiplier) होता है, जिससे कर्मचारियों की मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा करके नया वेतन तय किया जाता है। इसका इस्तेमाल हर वेतन आयोग में कर्मचारियों के वेतन को री-कैलकुलेट करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹18,000 है और फिटमेंट फैक्टर 2.0 होता है, तो नया बेसिक वेतन ₹36,000 बन जाएगा। इसमें अन्य भत्ते जैसे HRA और DA अलग से जोड़े जाते हैं।
सैलरी में कितनी बढ़ोतरी की उम्मीद?
फाइनेंशियल रिसर्च फर्म Ambit Capital की रिपोर्ट के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग के तहत यदि 1.83 का फिटमेंट फैक्टर लागू होता है, तो ₹18,000 की सैलरी बढ़कर लगभग ₹32,940 हो जाएगी। वहीं, अगर फिटमेंट फैक्टर को 2.46 तक रखा गया, तो यही सैलरी बढ़कर ₹44,280 हो सकती है। इसका मतलब है कि वेतन में न्यूनतम 14% से लेकर अधिकतम 54% तक की वृद्धि हो सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि 54% जैसी बड़ी बढ़ोतरी की संभावना कम है, क्योंकि इससे सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा।
वेतन के साथ पेंशन और भत्तों में भी बदलाव
8वां वेतन आयोग न केवल सैलरी बढ़ोतरी के लिए अहम होगा, बल्कि यह पेंशन और अन्य भत्तों में भी बदलाव की सिफारिश करेगा। इससे देशभर के लगभग 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित हो सकते हैं।
आयोग का गठन और लागू होने की संभावित तारीख
सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग की घोषणा तो कर दी थी, लेकिन अब तक इसका औपचारिक गठन नहीं हुआ है। वित्त मंत्रालय के अधीन व्यय विभाग ने इसके लिए 35 पदों को प्रतिनियुक्ति के ज़रिए भरने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि पहले इसे 1 जनवरी 2026 से लागू करने की उम्मीद थी, अब रिपोर्ट्स के मुताबिक इसकी लागू होने की प्रक्रिया 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक खिंच सकती है।
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