एशियाई ताकत का उदय: ग्लोबल इकॉनमी में चीन और भारत की धाक

नई दिल्ली। दुनिया की आर्थिक तस्वीर तेजी से बदल रही है। जहां एक समय अमेरिका वैश्विक अर्थव्यवस्था का निर्विवाद नेता था, वहीं अब एशिया के दो दिग्गज — चीन और भारत — उस तस्वीर को नए सांचे में ढाल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि PPP (Purchasing Power Parity) के आधार पर चीन आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी वैश्विक हिस्सेदारी 19.29% है। अमेरिका अब 14.84% हिस्सेदारी के साथ दूसरे नंबर पर है, और भारत 8.49% के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है।

PPP बनाम नॉमिनल GDP: फर्क कहां है?

जब बात नॉमिनल GDP की होती है, तो अमेरिका अब भी सबसे ऊपर है, उसके बाद चीन, जर्मनी, जापान और भारत आते हैं। लेकिन PPP के पैमाने पर चीजें काफी अलग दिखती हैं, क्योंकि यह स्थानीय क्रयशक्ति को आधार मानता है। यही वजह है कि भारत और चीन जैसी विकासशील अर्थव्यस्थाएं इसमें ऊंचे स्थान पर हैं।

विश्व व्यवस्था में बड़ा बदलाव

भारत और चीन के तेजी से बढ़ते योगदान ने वैश्विक आर्थिक संतुलन को पश्चिम से पूरब की ओर झुका दिया है। वहीं, PPP में रूस (3.49%), जर्मनी (3.02%), फ्रांस (2.19%) और ब्रिटेन (2.16%) नीचे की ओर खिसकते नजर आ रहे हैं, वहीं मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया की अर्थव्यवस्थाएं — मिस्र, सऊदी अरब, वियतनाम धीरे-धीरे वैश्विक पटल पर जगह बना रही हैं।

2029 का पूर्वानुमान: भारत और चीन की और मज़बूती

IMF के मुताबिक, 2029 तक PPP में चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 19.64% तक पहुंच सकती है। अमेरिका की हिस्सेदारी घटकर 14.26% होने का अनुमान है। भारत की भागीदारी भी बढ़कर 9.66% तक पहुंचने की उम्मीद है। यानी अगले कुछ वर्षों में भारत स्पष्ट रूप से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा — और वो भी एक स्थायी स्थान के रूप में।

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