सरकार और LIC की बड़ी हिस्सेदारी
IDBI बैंक में इस समय केंद्र सरकार की 30.48% और LIC की 30.24% हिस्सेदारी है। दोनों मिलाकर कुल 60.72% शेयरों की रणनीतिक बिक्री की योजना है। इसका सीधा अर्थ है कि बैंक का नियंत्रण और प्रबंधन पूरी तरह निजी क्षेत्र को सौंपा जाएगा। इस सौदे से सरकार को अनुमानतः 33,000 करोड़ रुपये की आय हो सकती है, जो उसके विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य (₹47,000 करोड़) को पूरा करने में सहायक होगी।
प्रमुख बोलीदाता कौन हैं?
सरकार द्वारा प्राप्त अभिरुचि पत्रों (EOIs) में फेयरफैक्स इंडिया होल्डिंग्स, एमिरेट्स एनबीडी और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे बड़े नाम सामने आए हैं। ये संस्थान अब फाइनेंशियल बिड (वित्तीय बोलियाँ) जमा करने की तैयारी कर रहे हैं। चुने गए बोलीदाताओं के साथ शेयर खरीद समझौते (SPA) पर काम तेज़ी से चल रहा है।
बैंकिंग संचालन में स्वतंत्रता की गारंटी
बिक्री को आकर्षक बनाने के लिए सरकार खरीदारों को बैंक के संचालन में पूर्ण प्रबंधन स्वतंत्रता देने पर विचार कर रही है। इसमें प्रबंधन में बदलाव, कर्मचारियों की नियुक्तियाँ और रणनीतिक फैसले शामिल हो सकते हैं। हालांकि, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत शेयरधारकों का मताधिकार 26% तक सीमित रहेगा, चाहे हिस्सेदारी इससे अधिक क्यों न हो।
कर्मचारियों और हितधारकों की सुरक्षा
निजीकरण को लेकर कर्मचारियों और अन्य हितधारकों की चिंताओं को भी गंभीरता से लिया जा रहा है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि शेयर खरीद समझौते में ऐसे प्रावधान शामिल हों, जिससे कर्मचारियों की नौकरियों और हितों की रक्षा की जा सके। इस दिशा में श्रम संगठनों से संवाद भी अपेक्षित है।
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