VL-SRSAM: भारत की वायु शक्ति में नई क्रांति

नई दिल्ली। भारत की वायु रक्षा क्षमताएं अब एक नए मुकाम की ओर बढ़ रही हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) प्रणाली न केवल दुश्मन के हवाई हमलों को बेअसर करने में सक्षम है, बल्कि यह भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए और अधिक आत्मनिर्भर भी बना रही है।

क्या है VL-SRSAM?

VL-SRSAM, DRDO द्वारा विकसित की गई एक शॉर्ट-रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसे ट्रक-आधारित प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल मूलतः Astra Mk1 नामक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल पर आधारित है, जिसे पहले ही भारतीय वायुसेना के कई लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई-30MKI, तेजस और मिग-29 के साथ एकीकृत किया जा चुका है।

जहां Astra Mk1 की मारक क्षमता 110 किलोमीटर है, वहीं VL-SRSAM को सतह से दागे जाने के लिहाज़ से 50 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्यों को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है। DRDO भविष्य में इसकी रेंज को 80 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना भी बना रहा है।

भारतीय सेना की दिलचस्पी और भविष्य की दिशा

शुरुआत में VL-SRSAM को भारतीय नौसेना की पुरानी बराक-1 प्रणाली की जगह लेने के लिए विकसित किया गया था। जून 2022 में इसका नौसैनिक संस्करण ओडिशा तट से एक युद्धपोत पर सफलतापूर्वक परीक्षणित किया गया। अब, भारतीय वायुसेना और थलसेना भी इस ट्रक-माउंटेड प्रणाली में रुचि दिखा रही हैं, और अपने रडार सिस्टम्स के साथ इसे जोड़कर व्यापक वायु रक्षा कवरेज सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ रही हैं।

तकनीकी विशेषताएं जो VL-SRSAM को बनाती हैं खास

1 .थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल: जेट वेन तकनीक से लैस यह मिसाइल उड़ान के दौरान दिशा बदलने में बेहद कुशल है।

2 .स्मोकलेस लॉन्च: लॉन्च के समय कोई धुआं नहीं निकलता, जिससे दुश्मन की निगरानी प्रणाली को भ्रमित किया जा सकता है।

3 .रैपिड वर्टिकल लॉन्च प्रणाली: यह मिसाइल एक विशेष वेर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल से दागी जाती है, जिससे यह कम समय में प्रतिक्रिया देने में सक्षम होती है।

4 .फाइबर-ऑप्टिक जाइरोस्कोप और एक्टिव रडार होमिंग: इन अत्याधुनिक मार्गदर्शन प्रणालियों की मदद से मिसाइल लक्ष्य को एक ही शॉट में 80% से ज्यादा संभावना के साथ मार गिरा सकती है।

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