रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की उड़ान
भारत ने 1980 के दशक में जब इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) शुरू किया, तब किसी को अंदाज़ा नहीं था कि यह देश कुछ ही दशकों में विश्वस्तरीय मिसाइल शक्ति बन जाएगा। आज भारत के पास हर श्रेणी की मिसाइलें हैं — सतह से सतह पर मार करने वाली, हवा से हवा में मार करने वाली, पानी के नीचे से लॉन्च होने वाली और परमाणु क्षमता से लैस अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें भी।
भारत की मिसाइल ताकत: कुछ चौंकाने वाले तथ्य
अग्नि-V मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किमी से भी अधिक है, जो पूरे एशिया, यूरोप और चीन तक पहुंचने में सक्षम है। यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है। वहीं, ब्रह्मोस, भारत और रूस की संयुक्त परियोजना, दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है — जिसकी गति 3 मैक (ध्वनि की गति से तीन गुना) से अधिक है। इसका नया संस्करण अब हाइपरसोनिक तकनीक की ओर बढ़ रहा है।
नाग, त्रिशूल और शौर्य जैसी मिसाइलें भारत की रक्षा पंक्ति को अभेद्य बनाती हैं। भारत आज मिसाइल तकनीक में इतना सक्षम हो चुका है कि कई देशों को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात करने की तैयारी चल रही है — यह रक्षा क्षेत्र में भारत की नई भूमिका का संकेत है।
वैज्ञानिकों की मेहनत और तकनीकी चमत्कार
भारत की इस सफलता के पीछे DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की वर्षों की मेहनत और वैज्ञानिकों की अथक लगन है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों की दूरदृष्टि और समर्पण ने भारत को वह नींव दी, जिस पर आज यह तकनीकी इमारत खड़ी है।
दुनिया के मिसाइल क्लब में भारत की मजबूत उपस्थिति
भारत अब MTCR (Missile Technology Control Regime) का सदस्य है — यानी वह तकनीकें जो पहले भारत को नहीं मिलती थीं, अब भारत खुद विकसित कर रहा है और दूसरों को भी बेच सकता है। भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो चुका है जिनके पास: बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है, एंटी-सैटेलाइट मिसाइल क्षमता, समुद्र से मिसाइल दागने की क्षमता (K-15 और K-4 मिसाइलें), हाइपरसोनिक मिसाइलें भी मौजूद हैं।
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