दरअसल, 8वें वेतन आयोग की चर्चाओं में इन भत्तों को लेकर बड़े बदलाव आने की संभावनाएं सामने आ रही हैं, जो सीधे आपकी जेब पर असर डालेंगे। आइए, एक-एक करके समझते हैं कि क्या-क्या हो सकता है नया इस 8वें वेतन आयोग में।
HRA – अब ज्यादा सैलरी पर ज्यादा किराया भत्ता
सरकारी कर्मचारी जिस शहर में काम करता है, उसके आधार पर उसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA) मिलता है। अभी यह भत्ता 7वें वेतन आयोग की दरों पर दिया जा रहा है, जिसमें मेट्रो शहरों को सबसे ज्यादा और छोटे शहरों को सबसे कम HRA मिलता है।
8वें वेतन आयोग में क्या बदलेगा?
जैसे ही नया वेतन आयोग लागू होगा, महंगाई भत्ता (DA) दोबारा शून्य से शुरू हो जाएगा। इसका मतलब है कि HRA की दरें फिर से मूल दरों पर चली जाएंगी (जैसे मेट्रो के लिए 24%, बड़े शहरों के लिए 16% और छोटे शहरों के लिए 8%)। फर्क ये होगा कि अब ये दरें नई और बढ़ी हुई बेसिक सैलरी पर लागू होंगी।
उदाहरण से समझें: अगर किसी कर्मचारी की नई बेसिक सैलरी ₹90,000 होती है, तो मेट्रो में उसे 24% HRA मिलेगा यानी ₹21,600 प्रति माह। पहले यही HRA ₹10,620 था जब बेसिक सैलरी ₹35,400 थी। यानि HRA भले दर में कम हो, रकम में ज्यादा होगा।
मेडिकल भत्ता – पेंशनर्स को मिल सकती है राहत
सरकारी कर्मचारियों के इलाज के लिए फिलहाल CGHS जैसी योजनाएं उपलब्ध हैं, लेकिन जो रिटायर हो चुके हैं और CGHS का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें हर महीने एक फिक्स मेडिकल अलाउंस (FMA) मिलता है। मौजूदा समय में यह राशि ₹1,000 प्रति माह है, जो कई पेंशनर्स के लिए नाकाफी है। 8वें वेतन आयोग में इसे ₹2,000 या उससे अधिक किए जाने की संभावना है। साथ ही, कुछ सुझाव यह भी दे रहे हैं कि बुजुर्गों और दूर-दराज के इलाकों के लिए इसे और ज्यादा किया जाए।
यात्रा भत्ता – ऑफिस आना-जाना होगा ज्यादा आसान
ट्रैवल अलाउंस (TA) एक ऐसा भत्ता है जो कर्मचारियों को ऑफिस तक आने-जाने के खर्च के लिए मिलता है। यह DA से जुड़ा होता है और जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है, TA भी बढ़ता है। अगर बेसिक सैलरी में DA को मिला दिया गया, तो TA की गणना भी नए ढंग से होगी। इससे उम्मीद की जा रही है कि यात्रा भत्ता ज्यादा सटीक और उपयोगी हो जाएगा। हो सकता है कि भत्ते को शहर की दूरी, ट्रैफिक और महंगाई के आधार पर फिर से डिजाइन किया जाए।
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