DA मर्जर: महंगाई भत्ते का बुनियादी वेतन में विलय
महंगाई भत्ता यानी Dearness Allowance एक ऐसा हिस्सा होता है जो सरकार कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए देती है। हर छह महीने में इसे रिवाइज किया जाता है और साल में दो बार लागू किया जाता है। लेकिन जब नया वेतन आयोग लागू होता है, तो अब तक दिए गए डीए को मौजूदा बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाता है। इसे DA मर्जर कहा जाता है।
उदाहरण: अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 30,000 रुपये है और उसे 50% DA मिल रहा है, तो नया बेसिक = 30,000 + (30,000 x 0.50) = 45,000 रुपये होगा। इस नए बेसिक पर फिर फिटमेंट फैक्टर लागू होगा।
फिटमेंट फैक्टर: वेतन में असली बढ़ोतरी का सूत्र
फिटमेंट फैक्टर वह गुणक (Multiplier) है जो वेतन वृद्धि की दिशा तय करता है। इसे नया पे स्ट्रक्चर तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ताकि सभी कर्मचारियों को एक समान और न्यायसंगत बढ़ोतरी मिले। 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था। यानी पुरानी बेसिक सैलरी को 2.57 से गुणा करके नई सैलरी तय की गई थी।
8वें वेतन आयोग में क्या हो सकता है?
हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर 2.00 से 3.00 के बीच रह सकता है। यानी अगर आपकी मौजूदा बेसिक सैलरी 30,000 रुपये है और नया फिटमेंट फैक्टर 2.50 होता है, तो आपकी नई बेसिक सैलरी होगी: 30,000 x 2.50 = 75,000 रुपये
सैलरी वृद्धि की प्रक्रिया: एक नजर में
DA मर्जर होता है – वर्तमान DA को बेसिक सैलरी में जोड़ा जाता है।
नई बेसिक सैलरी बनती है – मर्ज की गई रकम।
फिटमेंट फैक्टर लागू होता है – जिससे अंतिम बेसिक सैलरी तय होती है।
इसके बाद फिर से DA शून्य से शुरू होता है – और हर 6 महीने में नई दर से बढ़ता है।
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