भारत को रूस ने दिया दो धांसू फाइटर जेट्स का ऑफर

नई दिल्ली। भारत और रूस के रक्षा संबंध दशकों पुराने हैं, और दोनों देशों ने समय-समय पर एक-दूसरे का रणनीतिक सहयोगी बनकर कई अहम समझौते किए हैं। अब एक बार फिर यह साझेदारी एक नए मोड़ पर खड़ी है। रूस ने भारत को दो अत्याधुनिक फाइटर जेट्स — Su-57e और Su-35m — का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए न केवल एक सामरिक बढ़त का अवसर है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को भी नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।

कौन हैं ये दो जेट्स?

Su-57e स्टील्थ फाइटर: Su-57e रूस का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर है, जो सुपीरियर एयर सुपरिओरिटी, ग्राउंड अटैक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में सक्षम है। यह अमेरिका के F-22 और चीन के J-20 जैसे फाइटर जेट्स की टक्कर में खड़ा होता है।

Su-35m मल्टीरोल कॉम्बैट जेट: Su-35m, Su-30MKI से अधिक आधुनिक और घातक वर्जन है। यह एक चौथी पीढ़ी+ फाइटर है जिसमें बेहतर एवियोनिक्स, इंजन और हथियार प्रणालियां हैं। इसकी त्वरित डिलीवरी प्रस्तावित है, जिससे भारत को अल्पकालिक सैन्य मजबूती मिल सकती है।

स्वदेशी निर्माण की बड़ी पेशकश

रूस ने Su-57e का निर्माण भारत में करने की पेशकश की है। खास बात यह है कि यह निर्माण HAL की नासिक फैक्ट्री में किया जा सकता है, जहां पहले से ही 220+ Su-30MKI विमान बनाए जा चुके हैं। यह भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को और मजबूत करेगा।

तकनीकी ट्रांसफर और सॉफ्टवेयर कोड: गेमचेंजर फैक्टर

रूस ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा है कि वह विमान से जुड़ी पूरी तकनीक, यहां तक कि सॉफ्टवेयर कोड (source code) भी साझा करेगा। यह प्रस्ताव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आमतौर पर पश्चिमी देश जैसे फ्रांस, अपने फाइटर जेट्स के कोड साझा नहीं करते। सोर्स कोड मिलने का अर्थ है कि भारत अपने स्वदेशी हथियार और सिस्टम — जैसे अस्त्र मिसाइल, रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल, और विरुपाक्ष रडार — इन फाइटर जेट्स में आसानी से एकीकृत कर सकेगा।

इस प्रस्ताव से 40-60% तक के पुर्जे भारत में बनाए जा सकते हैं। इससे घरेलू एयरोस्पेस उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और भारत विदेशी रक्षा आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता घटा सकेगा। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के लिए एक ठोस कदम हो सकता है।

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