अमेरिका के B-2 बॉम्बर का तोड़ कौन कर सकता है?
B-2 बॉम्बर अपनी स्टील्थ टेक्नोलॉजी के कारण दुनिया में खौफ फैलाता है, लेकिन रूस और चीन जैसे देशों ने न केवल खुद स्टील्थ फाइटर जेट विकसित किए हैं, बल्कि ऐसी एंटी-स्टील्थ रडार तकनीक भी विकसित कर ली है जो स्टील्थ विमानों का पता लगा सकती है। इस तकनीक के चलते वे B-2 जैसे विमानों को ट्रैक कर सकते हैं, जो पहले लगभग असंभव माना जाता था।
भारत की भूमिका और तकनीकी मजबूती
भारत भी अब इस तकनीकी दौड़ में पीछे नहीं है। देश ने स्वदेशी रूप से ‘सूर्या VHF रडार सिस्टम’ विकसित किया है, जो स्टील्थ विमानों को पकड़ने में सक्षम है। VHF बैंड के रडार स्टील्थ विमानों की सतह पर आए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों को पकड़ने में अधिक प्रभावी होते हैं, जिससे B-2 जैसे विमानों को छुपना मुश्किल हो जाता है।
इसके अलावा, भारत का इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) भी इस दिशा में काफी कारगर साबित हो रहा है। F-35B जैसे स्टील्थ विमानों को ट्रैक करने में इस सिस्टम की सफलता से यह साफ हो गया है कि भारत की एयर डिफेंस सिस्टम न केवल मजबूत है, बल्कि लगातार विकसित भी हो रही है।
(AMCA): भारत का अपना स्टील्थ विमान
भारत अपनी आक्रामक और रक्षा क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए ‘एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ (AMCA) परियोजना पर काम कर रहा है। यह स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट होगा, जिसका मकसद न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की सैन्य ताकत को भी बढ़ाना है। इस परियोजना पर खर्च लगभग 15,000 करोड़ रुपये का अनुमान है, जो तकनीकी निवेश के लिहाज से देश के लिए बहुत बड़ा कदम है।
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