इस बीच पंचायत चुनाव की तैयारियों में एक जटिलता यह भी है कि नगर विकास विभाग ने नगर निकायों के गठन और नगरीय सीमाओं के विस्तार को लेकर एक पत्र लिखा है, जिसके चलते पंचायत चुनाव की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। पंचायतीराज विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग को इस विषय पर मार्गदर्शन के लिए पत्र लिखा है, क्योंकि पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य भी चल रहा है।
हालांकि, प्रशासन ने अभी तक वार्डों के पुनर्गठन और मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया को नहीं रोका है, और चुनाव की तैयारियों को गति देने में जुटा है। इसके बावजूद, पंचायतों की संख्या में कमी आई है और अब राज्य में ग्राम पंचायतों की कुल संख्या 57,695 रह गई है, जो पहले 58,209 थी।
नगरीय सीमाओं के विस्तार को लेकर यह भी स्पष्ट किया गया है कि पंचायत चुनाव से पहले नगरीय क्षेत्रों का विस्तार किया जाएगा। इस कारण से ग्राम पंचायतों के परिसीमन और मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लग सकती है। अधिकारियों के अनुसार, इससे जुड़ा आदेश 1-2 अगस्त तक जारी किया जाएगा।
पंचायतीराज विभाग ने 21 मई को जारी एक शासनादेश के तहत त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी में नगर निकायों के गठन और सीमा विस्तार पर रोक लगा दी थी। साथ ही, ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के वार्डों के परिसीमन के लिए एक विस्तृत कार्यक्रम भी जारी किया गया, जो 18 जुलाई से सक्रिय है। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी 11 जुलाई को मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान का विस्तृत कार्यक्रम जारी किया है।
वहीं, अभी 97 नए नगर निकायों के गठन और 107 नगरीय क्षेत्रों के सीमा विस्तार के प्रस्ताव लंबित हैं। नगर विकास विभाग ने पिछले सप्ताह पंचायतीराज विभाग से 21 मई के शासनादेश को वापस लेने का अनुरोध किया है, लेकिन इस पर सरकार की ओर से कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि पहले नगरीय क्षेत्रों के विस्तार के प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा, जिसके बाद ही चुनाव संबंधी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। इससे स्पष्ट होता है कि पंचायत चुनाव की तैयारियों में नगरीय विस्तार की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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