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सोमवार को जपें ‘ॐ नमः शिवाय’! शिव की छाया में हैं ये 5 राशियां

धर्म डेस्क। भक्तों के लिए सोमवार का दिन विशेष होता है, क्योंकि यह दिन समर्पित होता है भगवान शिव को  जिनकी कृपा से जीवन के सबसे कठिन संकट भी सरल हो जाते हैं। आने वाला सोमवार पांच भाग्यशाली राशियों के लिए विशेष फलदायी सिद्ध हो सकता है। शिव कृपा की छाया इन राशियों पर मंडरा रही है, जिससे इनके जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में शुभ योग बन रहे हैं, उन पर भगवान शिव की विशेष अनुकंपा बरसेगी।

वृषभ राशि

इस राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र में बड़ी सफलता मिलने की संभावना है। अटके हुए काम पूरे होंगे और वरिष्ठों से सहयोग मिलेगा। शिव जी की कृपा से रुका हुआ धन भी वापस मिल सकता है।

कर्क राशि

मानसिक शांति के साथ-साथ पारिवारिक जीवन में खुशियाँ आएंगी। शिव पूजन से प्रेम संबंधों में मिठास आएगी और जीवनसाथी से जुड़ा कोई सुखद समाचार मिल सकता है।

कन्या राशि 

विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह समय उत्तम है। लंबे समय से जिस प्रयास में सफलता नहीं मिल रही थी, वह अब फल देने लगेगा। शिव नाम का जप हर सुबह करने से ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ेगा।

धनु राशि

धन लाभ के योग प्रबल हैं। बिजनेस में कोई नई डील फाइनल हो सकती है। पुराने निवेश अब लाभ देना शुरू करेंगे। शिवजी का अभिषेक करने से और भी शुभ फल प्राप्त होंगे।

मीन राशि

शिव कृपा से आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक बल मिलेगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा और परिवार में मांगलिक कार्य हो सकते हैं। यह समय आत्मिक शांति और संतुलन का रहेगा।

क्या करें सोमवार को?

प्रातः काल स्नान के बाद शिवलिंग पर जल, दूध चढ़ाएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। उपवास या सात्विक आहार लें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

यूपी में गरीब परिवारों के लिए बड़ी खुशखबरी, तुरंत पढ़ें!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के निर्धनतम परिवारों को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है "जीरो पॉवर्टी अभियान"। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना है, बल्कि गरीब परिवारों के जीवन स्तर को स्थायी रूप से बेहतर बनाना भी है। यह पहल प्रदेश को गरीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास है, जो समाज के सभी वर्गों की भागीदारी से संचालित हो रही है।

क्या है जीरो पॉवर्टी अभियान?

"जीरो पॉवर्टी अभियान" की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर की थी। उन्होंने स्पष्ट किया था कि यह अभियान सिर्फ सरकारी सहायता तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह उन परिवारों के लिए एक जीवन बदलने वाला मिशन होगा, जो अब भी बुनियादी सुविधाओं और सामाजिक सुरक्षा से वंचित हैं।

आपको बता दें की इस अभियान के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत से 25 निर्धनतम परिवारों की पहचान की जा रही है। इन परिवारों को रोजगार, आजीविका, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित कराई जा रही हैं।

अब तक की प्रगति

अगस्त 2025 तक प्रदेश भर में 13.32 लाख से अधिक निर्धनतम परिवारों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 3.72 लाख परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल चुका है। वहीं, जल्द से जल्द अन्य गरीब परिवारों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जायेगा।

योजनाओं का समन्वय

"जीरो पॉवर्टी अभियान" के तहत चिन्हित परिवारों को केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, जैसे: प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराना, जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुंचाना, उज्ज्वला योजना से मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन, आयुष्मान भारत से स्वास्थ्य सुरक्षा कवच, मनरेगा एवं कौशल विकास योजना से रोजगार की व्यवस्था करना तथा शिक्षा और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम  के तहत बच्चों की शिक्षा और महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना हैं।

केले का कमाल: सिर्फ 2 रोज खाएं, 7 बीमारियां रहें दूर

हेल्थ डेस्क। फल अगर सेहत की चाबी हैं, तो केला उस चाबी का सबसे सस्ता और असरदार हिस्सा है। रोजाना सिर्फ दो केले खाने से शरीर को न केवल ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं, बल्कि 7 आम लेकिन गंभीर बीमारियों से भी बचाव होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, केले में पाए जाने वाले विटामिन्स, फाइबर और मिनरल्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाते हैं। आइए जानते हैं कि रोज दो केले खाने से किन बीमारियों को दूर रहा जा सकता है। 

1. कब्ज और पाचन 

केले में घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को सक्रिय बनाता है। रोज सुबह दो केले खाने से पेट साफ़ रहता है और कब्ज की समस्या में काफी राहत मिलती है।

2. हाई ब्लड प्रेशर

केला पोटैशियम का बेहतरीन स्रोत है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह शरीर में सोडियम के प्रभाव को कम करता है और दिल की सेहत को बेहतर बनाता है।

3. एनिमिया 

केले में आयरन की मात्रा होती है, हालांकि कम मात्रा है, लेकिन फिर भी शरीर में रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है। इससे खून की कमी की संभावना घटती है और शरीर में थकावट कम महसूस होती है।

4. दिल की बीमारी

फाइबर, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर केला हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। यह कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखता है और हार्ट स्ट्रोक के खतरे को कम करता है।

5. हड्डियों की कमजोरी

केले में मौजूद मैग्नीशियम और पोटैशियम हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। दूध या दही के साथ केला खाने से कैल्शियम का अवशोषण बेहतर होता है।

6. तनाव और मूड स्विंग्स

केले में ट्रिप्टोफैन नामक अमीनो एसिड होता है, जो शरीर में 'सेरोटोनिन' नामक हैप्पी हार्मोन को बढ़ाता है। यह मानसिक तनाव को कम करने और मूड बेहतर करने में मदद करता है।

7. एनर्जी की कमी करें दूर

केला नेचुरल एनर्जी बूस्टर है। इसमें मौजूद नैचुरल शुगर (ग्लूकोज़, फ्रक्टोज़, सुक्रोज़) शरीर को तुरंत ऊर्जा देती है। व्यायाम करने से पहले या थकान के बाद केला खाना फायदेमंद होता है।

सऊदी अरब में अमेरिकी 'THAAD' सिस्टम तैनात!

न्यूज डेस्क। मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच सऊदी अरब ने अपनी वायु सुरक्षा को अभूतपूर्व मजबूती दी है। हाल ही में अमेरिकी निर्मित उन्नत मिसाइल रोधी प्रणाली THAAD (Terminal High Altitude Area Defense) को पहली बार सऊदी अरब में तैनात किया गया है। यह न केवल सऊदी सैन्य क्षमताओं में तकनीकी छलांग है, बल्कि अमेरिका-सऊदी रक्षा साझेदारी के एक नए चरण की शुरुआत भी है।

THAAD की तैनाती क्यों है महत्वपूर्ण?

THAAD प्रणाली को अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने विकसित किया है। यह सिस्टम विशेष रूप से बैलिस्टिक मिसाइलों के अंतिम उड़ान चरण में उन्हें नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी "हिट-टू-किल" तकनीक है, जो दुश्मन की मिसाइल को टकराकर नष्ट करती है, न कि उसे किसी विस्फोट से गिराती है। इसका अर्थ है अधिक सटीकता, कम कोलैटरल डैमेज और बेहतर नतीजे।

सऊदी अरब की तैयारी और रणनीति

सऊदी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, THAAD सिस्टम संचालित करने के लिए सऊदी सेना की एक यूनिट को अमेरिका के फोर्ट ब्लिस बेस में प्रशिक्षण दिया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सऊदी केवल आयातक बनकर नहीं रहना चाहता, बल्कि उन्नत हथियार प्रणालियों का स्वतंत्र ऑपरेटर बनना चाहता है।

आपको बता दें की इससे पहले सऊदी अरब में पैट्रियट PAC-3 मिसाइल सिस्टम पहले से मौजूद था, जो कम ऊँचाई पर हमलों से सुरक्षा देता है। THAAD के आ जाने से अब सऊदी की वायु रक्षा प्रणाली बहु-स्तरीय और अधिक प्रभावी बन गई है।

ईरान और क्षेत्रीय संदर्भ

THAAD की तैनाती ऐसे समय हुई है जब ईरान और इज़राइल के बीच तनाव लगातार गहराता जा रहा है। साथ ही, ईरान के मिसाइल और ड्रोन कार्यक्रमों में आई तेजी ने सऊदी के लिए सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ा दी हैं। 2019 में सऊदी की तेल सुविधाओं पर हुए ड्रोन हमलों ने वायु सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर किया था। THAAD की मौजूदगी अब ऐसे हमलों के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती है।

B.Sc वालों की लग गई लॉटरी! बिहार में नौकरी की क्रांति!

पटना। बिहार में सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे B.Sc डिग्रीधारकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने सहायक पर्यावरण वैज्ञानिक के 17 पदों पर सीधी भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह भर्ती 2025 में युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आई है, खासतौर पर उन उम्मीदवारों के लिए जिन्होंने विज्ञान (B.Sc) की पढ़ाई की है और पर्यावरण क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं।

27 अगस्त से शुरू आवेदन प्रक्रिया

BPSC की आधिकारिक वेबसाइट bpsc.bihar.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 27 अगस्त 2025 से शुरू हो चुकी है। इच्छुक और योग्य अभ्यर्थी 19 सितंबर 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद कोई आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।

योग्यता और पात्रता शर्तें

इस पद के लिए उम्मीदवारों का B.Sc डिग्रीधारी होना अनिवार्य है, खासतौर पर पर्यावरण विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, या संबंधित विषयों में स्नातक। उम्मीदवारों को आयोग द्वारा निर्धारित न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 37 वर्ष की आयु सीमा में होना चाहिए। वहीं, महिलाओं के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित की गई है। आरक्षित वर्गों को नियमानुसार आयु में छूट दी जाएगी।

आवेदन शुल्क

इस भर्ती प्रक्रिया में सामान्य, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, एससी, एसटी, पीएच और महिला अभ्यर्थियों सभी के लिए आवेदन शुल्क सिर्फ ₹100/- निर्धारित किया गया है, जो ऑनलाइन माध्यम से जमा किया जा सकता है।

कैसे करें आवेदन?

BPSC की आधिकारिक वेबसाइट bpsc.bihar.gov.in पर जाएं। “Apply Online” सेक्शन में Assistant Environmental Scientist भर्ती लिंक पर क्लिक करें। आवश्यक विवरण भरें, दस्तावेज़ अपलोड करें और शुल्क भुगतान करें। आवेदन पत्र का प्रिंट जरूर सुरक्षित रखें।

8वें वेतन आयोग: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नई सैलरी स्ट्रक्चर?

नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बार फिर अच्छी खबर आ सकती है। 7वें वेतन आयोग के बाद अब 8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो सरकार जल्द ही 8वें वेतन आयोग पर कोई बड़ा ऐलान कर सकती है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संभावित सैलरी स्ट्रक्चर को लेकर अनुमान लगाए जाने लगे हैं।

फिटमेंट फैक्टर बनेगा आधार:

वेतन आयोग की आत्मा माने जाने वाले फिटमेंट फैक्टर को लेकर अटकलें तेज हैं। यही वह गुणक (Multiplier) है, जिससे मौजूदा बेसिक सैलरी को बढ़ाकर नई बेसिक सैलरी तय की जाती है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था, जिससे न्यूनतम वेतन ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 तक पहुंच गया था।

8वें वेतन आयोग में संभावित फिटमेंट फैक्टर:

रिपोर्ट्स की मानें तो 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.86 के बीच हो सकता है। अगर सरकार पुरानी परंपराओं को आधार मानती है तो 1.92 का फिटमेंट फैक्टर सबसे उपयुक्त और व्यावहारिक माना जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए सैलरी की संभावित गणना की जा रही है।

संभावित नई बेसिक सैलरी स्ट्रक्चर (वेतन स्तर के अनुसार):

पे लेवल 1: मौजूदा बेसिक पे ₹18,000 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹34,560

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹37,440

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹51,480

पे लेवल 2: मौजूदा बेसिक पे ₹19,900 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹38,208

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹41,392

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹56,914

पे लेवल 3: मौजूदा बेसिक पे ₹21,700 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹41,664

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹45,136

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹62,062

पे लेवल 4: मौजूदा बेसिक पे ₹25,500 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹48,960

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹53,040

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹72,930

पे लेवल 5: मौजूदा बेसिक पे ₹29,200 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹56,064

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹60,736

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹83,512

पे लेवल 6: मौजूदा बेसिक पे ₹35,400 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹67,968

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹73,632

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,01,244

पे लेवल 7: मौजूदा बेसिक पे ₹44,900 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹86,208

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹93,392

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,28,414

पे लेवल 8: मौजूदा बेसिक पे ₹47,600 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹91,392

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹99,008

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,36,136

पे लेवल 9: मौजूदा बेसिक पे ₹53,100 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,01,952

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,10,448

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,51,866

पे लेवल 10: मौजूदा बेसिक पे ₹56,100 है।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,07,712

2.08 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,16,688

2.86 फिटमेंट फैक्टर पर नई बेसिक सैलरी ₹1,60,446

सीएम योगी का ऐलान: यूपी में इन लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए विमुक्त और घुमंतू जातियों के सामाजिक उत्थान की दिशा में नई पहल की है। यह ऐलान 31 अगस्त को 'विमुक्त जाति दिवस' के अवसर पर किया गया, जिसमें उन्होंने इन ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित समुदायों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष योजनाओं और सुविधाओं की जानकारी दी।

विमुक्त जातियों को मिलेगा नया बोर्ड और आवासीय सुविधा

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एक विशेष बोर्ड का गठन करेगी, जो घुमंतू और विमुक्त जातियों के विकास और अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करेगा। यह बोर्ड इन जातियों की जरूरतों को समझकर शिक्षा, आवास, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर योजनाएं बनाएगा। साथ ही, कॉलोनी और मकान उपलब्ध कराने की योजना पर भी तेजी से काम किया जाएगा, जिससे ये समुदाय स्थायी निवास और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

शिक्षा और सामाजिक समावेश की योजनाएं

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय जैसे विशेष शिक्षण संस्थान चलाए जा रहे हैं, जहाँ विमुक्त जातियों के बच्चों को मुफ्त आवास, भोजन और यूनिफॉर्म जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। साथ ही, राज्य के 264 अनुसूचित जाति छात्रावासों में भी इन समुदायों के बच्चों के लिए आरक्षित सुविधाएं उपलब्ध हैं।

वोटिंग अधिकार और जमीन के पट्टे

घुमंतू जातियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें मतदान का अधिकार और भूमि के पट्टे भी दिए जाएंगे। यह उन जातियों के लिए ऐतिहासिक कदम है जो आज तक स्थायी निवास और राजनीतिक अधिकारों से वंचित थीं।

वनटांगिया और अन्य पिछड़ी जातियों के उदाहरण

मुख्यमंत्री ने वनटांगिया समाज का उल्लेख करते हुए बताया कि उनकी सरकार ने उन्हें राजस्व गांव का दर्जा दिलाया, जिससे उन्हें मताधिकार, घर, स्कूल और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलीं। इसी तरह, मुसहर, थारू, गौड़, चेरो, कोल और सहरिया जैसी जातियों को भी योजनाओं के माध्यम से सशक्त किया गया है। अब यही मॉडल घुमंतू जातियों पर भी लागू किया जाएगा।

बिहार में करें इन 4 मछलियों का पालन, कुछ ही महीनों में बनेंगे लखपति!

पटना। बिहार में आज किसान परंपरागत खेती से हटकर वैकल्पिक कृषि मॉडल की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। इन्हीं विकल्पों में से एक है मछली पालन, जो कम लागत, कम समय और कम ज़मीन में ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय बनकर उभरा है। राज्य सरकार भी ‘नीली क्रांति’ के तहत मछली पालन को बढ़ावा दे रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार यदि किसान सही तकनीक और उचित प्रजातियों का चुनाव करें, तो 6 से 8 महीनों में ही लाखों की कमाई कर सकते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं उन चार मछलियों के बारे में जिनका पालन बिहार के जलवायु और संसाधनों के अनुसार सबसे लाभकारी माना जाता है।

1. रोहू : रोहू मछली बिहार में सबसे अधिक खपत की जाने वाली प्रजातियों में से एक है। यह तेजी से बढ़ती है और बाज़ार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। 6 से 8 महीनों में यह 1-1.5 किलो तक की हो जाती है, जिससे अच्छे दाम मिलते हैं।

2. कटला: कटला का आकार बड़ा होता है और यह देखने में आकर्षक होती है, जिससे यह बाज़ार में अधिक कीमत पर बिकती है। इसकी ग्रोथ रेट तेज होती है और इसे रोहू के साथ पालना फायदेमंद माना जाता है।

3. मृगेल: मृगेल भी एक लोकप्रिय मछली है, जो तालाबों में अन्य मछलियों के साथ अच्छे से बढ़ती है। इसकी ग्रोथ मीडियम रेंज की होती है, लेकिन यह उगाने में कम खर्चीली होती है।

4. तिलापिया: तिलापिया मछली विदेशी मूल की है, लेकिन बिहार में इसकी मांग और उत्पादन दोनों ही बढ़ रहे हैं। यह मछली बेहद तेजी से बढ़ती है और सीमित जलस्रोतों में भी अच्छा उत्पादन देती है।

कम लागत, ज्यादा मुनाफा

विशेषज्ञों के अनुसार यदि 1 एकड़ तालाब में मिक्स मछली पालन किया जाए, तो 6-8 महीनों में ₹3 से ₹5 लाख तक की आमदनी संभव है। फीडिंग, ऑक्सीजन लेवल, पानी की सफाई और मछलियों की नियमित निगरानी से उत्पादन और मुनाफा दोनों बढ़ाया जा सकता है।

सरकारी सहायता भी उपलब्ध

राज्य सरकार और मत्स्य विभाग मछली पालकों को प्रशिक्षण, सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे हैं। बिहार मछली उत्पादन में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल हो चुका है।

यूपी में 'युवाओं' के लिए बड़ी खुशखबरी, तुरंत पढ़ें

मेरठ। उत्तर प्रदेश सरकार ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। बहुत से युवा ऐसे होते हैं जिनके पास हुनर और अच्छे आइडियाज होते हैं, लेकिन आर्थिक संसाधनों की कमी उन्हें अपने सपनों को हकीकत में बदलने से रोक देती है। इसी समस्या का समाधान लेकर आई है मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास योजना (Mukhyamantri Yuva Udyami Vikas Yojana)।

क्या है योजना का उद्देश्य?

इस योजना का मुख्य मकसद है कि प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं। इसके तहत युवा अपना स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं और उन्हें इसके लिए वित्तीय सहायता भी सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाती है वो भी बिना किसी ब्याज के।

योजना की खास बातें:

1 .ब्याज मुक्त लोन: युवाओं को बैंक के माध्यम से 5 लाख रुपए तक का लोन बिना ब्याज के दिया जा रहा है। ब्याज की पूरी राशि सरकार खुद वहन करेगी।

2 .10% मार्जिन मनी का लाभ: सरकार स्वयं 10% तक की मार्जिन मनी दे रही है, जिससे युवा बिना बड़ी पूंजी लगाए भी बिजनेस शुरू कर सकते हैं।

3 .ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया: आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है, जिससे युवा कहीं से भी आवेदन कर सकते हैं।

4 .स्टार्टअप को बढ़ावा: योजना का फोकस पारंपरिक व्यवसायों के साथ-साथ नए और नवाचारी स्टार्टअप आइडियाज को भी बढ़ावा देना है।

कैसे करें आवेदन?

योजना के लिए इच्छुक युवा उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ उन्हें व्यवसाय योजना, पहचान पत्र, निवास प्रमाण, शैक्षिक प्रमाण पत्र और अन्य जरूरी दस्तावेज भी अपलोड करने होंगे।

यूपी के इस जिले में बदलाव की बयार, 60 गांव बनेंगे हाईटेक!

उन्नाव। उत्तर प्रदेश का उन्नाव जिला अब विकास की एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है। उन्नाव-शुक्लागंज विकास प्राधिकरण (यूएसडीए) ने अपने विस्तार की योजना को जमीन पर उतारने की तैयारियां तेज कर दी हैं। इस योजना के तहत लगभग 60 गांवों को प्राधिकरण क्षेत्र में शामिल कर उन्हें हाईटेक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करना है, जहां शहरीकरण की संभावनाएं पहले से दिखने लगी हैं। यूएसडीए के सचिव शुभम सिंह के अनुसार, इस व्यापक विस्तार की रूपरेखा तैयार कर ली गई है और अब रिपोर्ट को शासन को सौंपने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

मौके पर किया गया सर्वेक्षण

फरवरी 2025 में आवास विभाग की ओर से क्षेत्रीय नगरीय एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र (RCUES) के माध्यम से एटीपी (असिस्टेंट टाउन प्लानर) द्वारा जिले का स्थलीय सर्वेक्षण किया गया। इस दौरान सदर क्षेत्र के 44 गांव, सफीपुर तहसील के लगभग 10 गांव और पुरवा तहसील के कुछ गांवों का निरीक्षण किया गया। इनमें से अधिकांश गांवों को विस्तार योजना में शामिल किया जाना तय है।

पुरवा तहसील और एससीआर का संबंध

गौरतलब है कि पुरवा तहसील की सीमाएं मोहनलालगंज क्षेत्र से जुड़ती हैं, जो पहले से ही स्टेट कैपिटल रीजन (SCR) का हिस्सा है। इसी कारण, पुरवा को भी स्वतः इस क्षेत्र में शामिल करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। फिलहाल, यहां के कुछ गांवों पर विस्तार के लिए विचार किया जा रहा है।

क्या बदलेगा गांवों में?

इन गांवों में शामिल होने के बाद: बेहतर सड़क, नाली और जल निकासी व्यवस्था, डिजिटल कनेक्टिविटी और स्मार्ट ग्रिड सिस्टम, नियोजित भवन और कॉलोनियों का निर्माण, हरित क्षेत्र और सार्वजनिक सुविधाओं का विकास जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी। इससे गांवों में रहने वाले लोगों को शहर जैसी मूलभूत सुविधाएं मिल सकेंगी और स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

BRICS का बिग प्लान: क्या अमेरिका को मात दे पाएगा?

नई दिल्ली: एक समय था जब अमेरिका को वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का निर्विवाद नेता माना जाता था। लेकिन अब, दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है और इस परिवर्तन के केंद्र में है, BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका)। हाल ही में इस गठबंधन में कई नए सदस्य देशों को जोड़ने की प्रक्रिया ने इसे और अधिक ताक़तवर व महत्वाकांक्षी बना दिया है।

BRICS 2.0: विस्तार और उद्देश्य

BRICS अब केवल पाँच देशों का समूह नहीं रहा। मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के शामिल होने से यह समूह वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ बनकर उभरा है। यह न केवल जनसंख्या और भूभाग के लिहाज़ से बड़ा है, बल्कि इसमें ऊर्जा, संसाधन, बाजार और सामरिक स्थिति की भरपूर विविधता भी है।

BRICS का उद्देश्य अब केवल विकासशील देशों के हितों की रक्षा करना नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था खड़ी करना है। जहाँ डॉलर का वर्चस्व सीमित हो, और पश्चिमी संस्थाओं पर निर्भरता घटे। लेकिन क्या ब्रिक्स ऐसा करने में सफल होगा, ये सबसे बड़ा सवाल हैं?

डॉलर को टक्कर: मुद्रा और व्यापार में क्रांति

BRICS अब डॉलर के विकल्प के रूप में स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा दे रहा है। रूस और चीन पहले से ही कई द्विपक्षीय समझौतों में डॉलर की जगह रूबल और युआन का प्रयोग कर रहे हैं। भविष्य में एक साझा BRICS करेंसी की अटकलें भी लगाई जा रही हैं, जो अमेरिकी वित्तीय व्यवस्था को सीधी चुनौती दे सकती है।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हालाँकि BRICS की रणनीति महत्वाकांक्षी है, लेकिन इसमें अंदरूनी मतभेद भी बड़ी चुनौती हैं। भारत-चीन तनाव, रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंध, और ब्राज़ील व दक्षिण अफ्रीका की राजनीतिक अस्थिरता।  इस समूह की एकजुटता पर समय-समय पर सवाल खड़े करते हैं।

इसके अलावा, अमेरिका और यूरोपीय देशों के पास अब भी तकनीकी बढ़त, सैन्य गठबंधन (जैसे NATO), और वैश्विक मीडिया व संस्थाओं पर प्रभाव है जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। साथ ही अमेरिकी डॉलर का पूरी दुनिया पर दबदबा। 

दुनिया किस ओर झुकेगी?

BRICS का उद्देश्य केवल अमेरिका को हराना नहीं है, बल्कि एक संतुलित, समावेशी और निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था खड़ी करना है। जहाँ अमेरिका के नेतृत्व वाली व्यवस्था ‘नियम आधारित’ होने का दावा करती है, वहीं BRICS ‘संप्रभुता और समानता’ की बात करता है। आज का युग ठोस जवाबों से नहीं, बल्कि बदलते समीकरणों से परिभाषित हो रहा है। और ऐसे में BRICS का यह ‘बिग प्लान’ दुनिया को एक नए मोड़ पर ला खड़ा कर सकता है।

क्या सच में अमेरिका = चीन + भारत + रूस?

नई दिल्ली। अक्सर यह चर्चा सुनने को मिलती है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था इतनी विशाल और मजबूत है कि उसकी तुलना दुनिया के बड़े आर्थिक खिलाड़ियों जैसे चीन, भारत और रूस से की जाती है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि अमेरिका की आर्थिक ताकत इन तीनों देशों के संयुक्त आर्थिक प्रभाव के बराबर है। लेकिन क्या यह कथन सही है? आइए इस विषय पर विस्तार से समझते हैं।

अमेरिका की आर्थिक ताकत

अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग 30.5 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है। यह देश नवाचार, तकनीक, वित्तीय बाजारों और उपभोक्ता शक्ति के मामले में अग्रणी है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था सेवा क्षेत्र, तकनीकी उद्योग, वित्तीय सेवा, और उच्च तकनीक उत्पादन पर आधारित है, जो उसे वैश्विक स्तर पर असाधारण प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देती है।

चीन की वृद्धि और ताकत

चीन पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ता हुआ आर्थिक महाशक्ति बना है। उसकी GDP लगभग 19 ट्रिलियन डॉलर है, और वह उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी है। चीन का औद्योगिक आधार, विशाल श्रमिक शक्ति, और मजबूत सरकार नीति उसे आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करती है। हालांकि, चीन अभी भी एक विकासशील देश है और उसकी प्रति व्यक्ति आय अमेरिका से काफी कम है।

भारत की संभावनाएं

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, जिसका GDP लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर है। भारत एक युवा आबादी वाला देश है, जिसका बड़ा उपभोक्ता बाजार है और तकनीकी सेवा क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। इसके बावजूद, भारत की आर्थिक संरचना में कृषि और असंगठित क्षेत्र का बड़ा हिस्सा है, जो विकास में बाधा डालता है। भारत के पास सुधारों और निवेश के जरिए बड़ी संभावनाएं हैं, जो उसे भविष्य में बड़ा आर्थिक खिलाड़ी बना सकती हैं।

रूस की भूमिका

रूस की अर्थव्यवस्था लगभग 2.2 ट्रिलियन अमरीकी की है, जो प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से तेल और गैस पर निर्भर है। रूस की अर्थव्यवस्था में विविधता कम है, और वैश्विक राजनीतिक घटनाओं का इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। इसके बावजूद, रूस का सैन्य बजट और रणनीतिक महत्व इसे वैश्विक शक्ति बनाए रखता है।

क्या सच में अमेरिका = चीन + भारत + रूस?

अगर हम सिर्फ GDP की तुलना करें, तो संयुक्त रूप में भी अमेरिका की जीडीपी चीन, भारत और रूस से अधिक  है। लेकिन अर्थव्यवस्था केवल GDP तक सीमित नहीं है। तकनीकी नवाचार, वित्तीय स्थिरता, वैश्विक निवेश की पहुंच, और उपभोक्ता बाजार की शक्ति जैसे कारकों को भी ध्यान में रखना जरूरी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की वैश्विक मुद्रा डॉलर, उसकी राजनीतिक स्थिरता, और मजबूत संस्थानों की वजह से वह वैश्विक आर्थिक प्रणाली में एक अनोखी स्थिति रखता है, जो चीन, भारत और रूस के संयुक्त प्रभाव से कहीं अधिक शक्तिशाली है।

यूपी में 'महिलाओं' के लिए बड़ी खुशखबरी, पढ़ें पूरी खबर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण को एक साथ जोड़ते हुए एक अभिनव योजना “सूर्या सखी” की शुरुआत की है। यह योजना न केवल स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और रोजगार के नए अवसर भी खोलती है।

महिलाओं के लिए अवसरों का नया द्वार

“सूर्या सखी” योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे सोलर पैनलों, लाइटिंग सिस्टम और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना और देखभाल कर सकें। यह पहल महिलाओं को तकनीकी कौशल प्रदान कर उन्हें उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर देती है। अब महिलाएं केवल उपभोक्ता नहीं रहेंगी, बल्कि वे ऊर्जा प्रदाता और तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में भी अपनी पहचान बनाएंगी।

ऊर्जा की समस्या का विकेंद्रीकृत समाधान

ग्रामीण भारत में एक बड़ी चुनौती विश्वसनीय और सस्ती बिजली की उपलब्धता है। पारंपरिक बिजली नेटवर्क हर गांव तक पहुंचाना आसान नहीं होता। ऐसे में सूर्या सखी योजना एक विकेंद्रीकृत ऊर्जा समाधान प्रस्तुत करती है, जिसमें स्थानीय स्तर पर सोलर उपकरणों की मदद से बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। यह व्यवस्था न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है, बल्कि आर्थिक रूप से भी टिकाऊ है।

उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में होगा विस्तार

शुरुआत में इस योजना को उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में लागू किया जा रहा है। राज्य सरकार और विभिन्न संस्थानों के सहयोग से एक व्यापक ऊर्जा ढांचे को खड़ा करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इससे न केवल ग्रामीण इलाकों को सस्ती बिजली मिलेगी, बल्कि महिलाओं को स्थायी आय का जरिया भी मिलेगा।

सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण

इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी। वे अपने समुदायों में नेतृत्व की भूमिका निभा सकेंगी और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकेंगी। साथ ही, ग्रामीण समाज में उनकी सामाजिक स्थिति भी मजबूत होगी। इस पहल से महिला सशक्तिकरण का जो संदेश जाता है, वह भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है।

यूपी में 8 IPS अधिकारियों का तबादला, देखें लिस्ट?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर एक बड़ा फैसला लेते हुए रविवार, 31 अगस्त 2025 को आठ आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया। इन तबादलों के जरिए कई जिलों और इकाइयों में नए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। खास बात यह है कि इस फेरबदल में कानपुर देहात और श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षकों को भी बदला गया है। ये तबादले प्रदेश में कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक दक्षता को और मजबूत करने के उद्देश्य से किए गए हैं।

जानिए किस अधिकारी को मिली नई जिम्मेदारी:

1 .राम सेवक गौतम (बैच 2013)

वर्तमान पद: पुलिस अधीक्षक, शामली

नया पद: पुलिस अधीक्षक, पुलिस प्रशिक्षण स्कूल (पीटीएस), मुरादाबाद

2 .अरविन्द मिश्र (बैच 2015)

वर्तमान पद: पुलिस अधीक्षक, कानपुर देहात

नया पद: एसपी, आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW), लखनऊ

3 .घनश्याम (बैच 2015)

वर्तमान पद: पुलिस अधीक्षक, श्रावस्ती

नया पद: एसपी, सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ

4 .श्रद्धा नरेन्द्र पाण्डेय (बैच 2017)

वर्तमान पद: सेनानायक, 38वीं वाहिनी पीएसी, अलीगढ़

नया पद: पुलिस अधीक्षक, कानपुर देहात

5 .राहुल भाटी (बैच 2018)

वर्तमान पद: पुलिस अधीक्षक, एसएसएफ, लखनऊ

नया पद: पुलिस अधीक्षक, श्रावस्ती

6 .लाखन सिंह यादव (बैच 2018)

वर्तमान पद: पुलिस उपायुक्त, गौतमबुद्धनगर

नया पद: सेनानायक, 38वीं वाहिनी पीएसी, अलीगढ़

7 .नरेन्द्र प्रताप सिंह

वर्तमान पद: एसपी/एएसपी, बागपत

नया पद: पुलिस अधीक्षक, शामली

8 .डॉ. प्रवीण रंजन सिंह

वर्तमान पद: पुलिस उपायुक्त/अपर पुलिस उपायुक्त, गौतमबुद्धनगर

नया पद: पुलिस उपायुक्त, पुलिस कमिश्नरेट, गौतमबुद्धनगर

प्रशासनिक संतुलन की दिशा में कदम

इन तबादलों से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था को लेकर सजग है और समय-समय पर अधिकारियों की भूमिका का मूल्यांकन करती है। विशेष रूप से कानपुर देहात और श्रावस्ती जैसे जिलों में जहां हाल के दिनों में कुछ संवेदनशील घटनाएं सामने आई थीं, वहां नए अधिकारियों की तैनाती प्रशासन की प्राथमिकता को दर्शाती है।

AI स्टेथोस्कोप: 15 सेकंड में दिल की बीमारियों की जांच संभव

नई दिल्ली। आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। युवाओं में भी हार्ट अटैक और अन्य कार्डियक समस्याएं आम होती जा रही हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अधिकतर लोगों को अपनी हार्ट की स्थिति का पता तब चलता है जब बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती है। अब इस समस्या के समाधान की दिशा में विज्ञान ने एक ऐसा स्टेथोस्कोप तैयार किया गया है, जो सिर्फ 15 सेकंड में दिल की गंभीर बीमारियों की पहचान कर सकता है।

इस हाईटेक स्टेथोस्कोप को AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस किया गया है, जो पुराने स्टेथोस्कोप के मुकाबले कहीं अधिक सटीक और तेज़ है। यह डिवाइस न केवल दिल की धड़कनों को सुनता है, बल्कि ECG डेटा और रक्त प्रवाह की बारीक आवाजों को भी रिकॉर्ड करता है।

कैसे काम करता है यह AI स्टेथोस्कोप?

इंपीरियल कॉलेज लंदन और इंपीरियल कॉलेज NHS ट्रस्ट के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह डिवाइस आकार में ताश के पत्ते जितना छोटा है। इसे मरीज के सीने पर रखा जाता है, जहाँ यह दिल के इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को रिकॉर्ड करता है और माइक्रोफोन की मदद से रक्त प्रवाह की आवाजों को भी पकड़ता है। यह सभी डेटा क्लाउड पर भेजा जाता है, जहाँ AI एल्गोरिदम उसकी गहनता से जांच करता है और महज कुछ ही सेकंड में स्मार्टफोन पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेज देता है।

इस तकनीक को अमेरिकी कंपनी Eko Health द्वारा बनाया गया है और इसका परीक्षण ब्रिटेन में 12,000 से अधिक मरीजों पर किया गया। खास बात यह रही कि इस डिवाइस ने पारंपरिक स्टेथोस्कोप की तुलना में दोगुने मामलों में हार्ट फेल्योर की पहचान की और तीन गुना अधिक एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसी अनियमित धड़कनों को पकड़ा।

हार्ट केयर में एक नई क्रांति

इस डिवाइस की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह उन सूक्ष्म बदलावों को भी पकड़ सकता है, जिन्हें इंसानी कान नहीं सुन सकते। यही नहीं, यह ECG भी तेज़ी से कर सकता है, जिससे डॉक्टरों को तुरंत इलाज शुरू करने का अवसर मिलता है।

इंपीरियल कॉलेज के डॉ. पैट्रिक बाचटिगर के अनुसार, “यह एक चमत्कारी डिवाइस है। आज भी बहुत से मरीजों को तब जाकर हार्ट फेल्योर का पता चलता है, जब हालत बेहद गंभीर हो चुकी होती है। यह तकनीक उस स्थिति को बदल सकती है।”

सामान्य डॉक्टर भी बन सकेंगे कार्डियक सुपरस्पेशलिस्ट

AI स्टेथोस्कोप के आने से दिल की बीमारियों की प्रारंभिक जांच अब सिर्फ विशेषज्ञों तक सीमित नहीं रहेगी। सामान्य प्रैक्टिशनर डॉक्टर भी इस उपकरण की मदद से जल्दी और सटीक जांच कर पाएंगे। इससे इलाज में देरी नहीं होगी और हजारों जिंदगियों को समय रहते बचाया जा सकेगा।

यूपी में बंपर भर्ती! अबकी बार होमगार्ड की बारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नौकरी का सपना देख रहे युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। लंबे समय से होमगार्ड भर्ती का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों की प्रतीक्षा अब खत्म होने वाली है। राज्य सरकार जल्द ही 44,000 से अधिक पदों पर होमगार्ड भर्ती प्रक्रिया शुरू करने जा रही है।

मुख्यमंत्री योगी का बड़ा ऐलान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होमगार्ड विभाग को भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। सूत्रों की मानें तो इस भर्ती को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा, जिससे सभी योग्य अभ्यर्थियों को अवसर मिल सके।

रिक्त पदों की संख्या और प्रक्रिया

रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 44,000 से ज्यादा पद फिलहाल खाली हैं। इन पदों को एक साथ न भरकर कई चरणों में भर्ती की जाएगी। प्रत्येक चरण में रिक्तियों की संख्या तय की जाएगी और उसी के अनुसार परीक्षा और चयन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

चयन प्रक्रिया में बदलाव की तैयारी

इस बार भर्ती प्रक्रिया में कुछ अहम बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी ने लिखित परीक्षा और प्राथमिकता (प्रेफरेंस) आधारित चयन प्रणाली पर जोर दिया है। इससे यह संभावना बन रही है कि अब होमगार्ड बनने के लिए सिर्फ शारीरिक दक्षता ही नहीं, बल्कि बौद्धिक क्षमता का भी आकलन किया जाएगा।

क्या है शैक्षणिक योग्यता?

होमगार्ड भर्ती के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं या 12वीं पास होने की शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए। यह न्यूनतम योग्यता है, जो हर अभ्यर्थी को पूरी करनी होगी। पूरी डिटेल्स जारी होने वाले नोटिश में दी जाएगी।

डबल राहत का ऐलान: केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी

नई दिल्ली। भारत में लाखों कर्मचारी ऐसे हैं जो अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में निवेश करते हैं। EPFO यानी Employees' Provident Fund Organisation न केवल रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सहारा देता है, बल्कि कर्मचारी की असामयिक मृत्यु की स्थिति में उसके परिवार को भी सहायता प्रदान करता है। अब EPFO ने एक ऐसा फैसला लिया है जो देशभर के कर्मचारियों और उनके परिजनों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।

अब मिलेगा 15 लाख रुपये का डेथ रिलीफ फंड

EPFO ने स्टाफ वेलफेयर फंड के तहत मिलने वाली डेथ रिलीफ सहायता राशि को 8.8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया है। यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो चुका है। इसका सीधा लाभ उन परिवारों को मिलेगा, जिन्होंने अपने किसी सदस्य को खोया है। अब उन्हें ज्यादा वित्तीय सहायता मिल पाएगी, जिससे कठिन समय में उनका सहारा बन सके।

हर साल होगी 5% की बढ़ोतरी

EPFO का यह फैसला सिर्फ एक बार की राहत तक सीमित नहीं है। 1 अप्रैल 2026 से यह राशि हर साल 5 प्रतिशत बढ़ेगी, जिससे यह सहायता समय के साथ और भी प्रभावी होती जाएगी। यह पहल कर्मचारियों के परिवारों के लिए एक दीर्घकालिक सुरक्षा कवच की तरह काम करेगी।

क्लेम प्रक्रिया में आसान बदलाव

अब EPFO ने डेथ क्लेम से जुड़ी प्रक्रिया को भी सरल बना दिया है। यदि मृतक कर्मचारी के नाबालिग बच्चों को यह राशि दी जानी है, तो अब अभिभावक को गार्जियनशिप सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह बदलाव इस प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाएगा, जिससे परिवारों को लंबे इंतजार से राहत मिलेगी।

आधार लिंकिंग में भी राहत

जो कर्मचारी अब तक अपना आधार अपने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) से लिंक नहीं कर पाए हैं या जिनके आधार में कुछ त्रुटियाँ हैं, उनके लिए EPFO ने जॉइंट डिक्लेरेशन की प्रक्रिया को भी सरल बनाया है। इससे सदस्य आसानी से आधार को अपडेट या लिंक करा सकते हैं, जो भविष्य में क्लेम प्रक्रिया को सुगम बनाएगा।

तूफ़ानी बारिश-वज्रपात का प्रहार: यूपी के 30 जिलों में अलर्ट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मौसम एक बार फिर करवट ले रहा है। प्रदेशभर में आसमान पर काले बादलों का जमावड़ा दिखाई देने लगा है, जिससे वातावरण में नमी बढ़ गई है और तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। रविवार को पश्चिमी यूपी के कई शहरों में मौसम खासा सुहावना बना रहा। आगरा से लेकर झांसी तक लोगों ने राहत की सांस ली, लेकिन साथ ही अगले कुछ घंटों में हालात अचानक बदल सकते हैं।

मौसम विभाग ने चेताया है कि 31 अगस्त को प्रदेश के 30 से ज्यादा जिलों में बारिश और वज्रपात की आशंका है। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मध्यम से भारी बारिश के आसार जताए गए हैं। इसके अलावा कई पूर्वी जिलों में भी बादल सक्रिय रहेंगे और हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।

किन जिलों में अलर्ट जारी?

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, कासगंज, एटा, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, जालौन, महोबा, झांसी, ललितपुर और आसपास के इलाकों में येलो अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में तेज़ बारिश के साथ वज्रपात की भी आशंका जताई गई है, जिससे लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

बिजली गिरने का खतरा, सतर्क रहने की अपील

वज्रपात को लेकर मौसम विभाग ने खास चेतावनी दी है। जिन जिलों में अलर्ट जारी किया गया है, वहां बिजली गिरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विशेष रूप से सतर्क रहने को कहा है। बारिश के दौरान पेड़ों के नीचे खड़े न होने, खुले में मोबाइल या मेटल की चीज़ें उपयोग न करने की सलाह दी गई है।

स्नातकों की चांदी! बिहार में सरकारी नौकरियों की धूम

पटना। बिहार के स्नातक युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी है। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने असिस्टेंट एजुकेशन डेवलपमेंट ऑफिसर (AEDO) के 935 पदों पर बंपर भर्ती निकाली है। यह भर्ती 2025 की सबसे बड़ी शैक्षणिक भर्तियों में से एक मानी जा रही है, जिसमें किसी भी संकाय से स्नातक उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं।

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 27 अगस्त 2025 से शुरू हो चुकी है और 26 सितंबर 2025 तक चलेगी। इच्छुक अभ्यर्थी आयोग की आधिकारिक वेबसाइट bpsc.bihar.gov.in के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। इसको लेकर निर्देश दिए गए हैं।

आवेदन शुल्क एक समान -सिर्फ ₹100

इस बार BPSC ने सभी वर्गों के लिए आवेदन शुल्क को ₹100 पर सीमित रखा है, जिससे यह भर्ती आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी सुलभ हो गई है। सामान्य वर्ग / अन्य राज्य के लिए ₹100/-, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / दिव्यांग के लिए ₹100/-, सभी वर्ग की महिला के लिए ₹100/-

आयु सीमा और छूट

भर्ती के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 37 वर्ष निर्धारित की गई है। आरक्षित वर्गों को नियमानुसार अधिकतम आयु में छूट दी जाएगी।

युवाओं के लिए अवसर

BPSC की इस भर्ती को लेकर युवाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। लंबे समय बाद असिस्टेंट एजुकेशन डेवलपमेंट ऑफिसर जैसे पदों पर इतनी बड़ी संख्या में वैकेंसी निकली है। शिक्षा विभाग से जुड़ने की इच्छा रखने वाले अभ्यर्थियों के लिए यह एक बेहतरीन अवसर है।

आवेदन कैसे करें?

आयोग की आधिकारिक वेबसाइट bpsc.bihar.gov.in पर जाएं। “Apply Online” सेक्शन में जाकर संबंधित पद पर क्लिक करें। रजिस्ट्रेशन करें और आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें। ₹100 का शुल्क ऑनलाइन जमा करें। फॉर्म सबमिट कर उसकी प्रति सुरक्षित रखें।

बिहार में 'बुजुर्गों' के लिए बड़ी खुशखबरी, तुरंत पढ़ें!

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के बुजुर्ग नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना के तहत मिलने वाली राशि में भारी बढ़ोतरी की है। अब इस योजना के तहत योग्य लाभार्थियों को हर महीने 1100 रुपये की पेंशन दी जाएगी। यह निर्णय विधानसभा चुनावों से पहले लिया गया है और इससे राज्य के 53 लाख से अधिक बुजुर्गों को सीधा लाभ होगा।

बिहार में अब तक इस योजना के अंतर्गत बुजुर्गों को मात्र 400 रुपये प्रतिमाह की राशि मिलती थी, जिसे अब बढ़ाकर लगभग तीन गुना कर दिया गया है। इसका लाभ लेने के लिए 60 वर्ष या उससे ज्यादा के बुजुर्ग ऑनलाइन के द्वारा आवेदन कर सकते हैं।

क्या है मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना?

राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना (MVPY) का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर और आय रहित बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। योजना के तहत 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नागरिकों को हर माह आर्थिक सहायता दी जाती है, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।

कौन ले सकता है योजना का लाभ?

आवेदक की उम्र कम से कम 60 वर्ष होनी चाहिए। बिहार का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है। आवेदक को किसी अन्य सरकारी पेंशन का लाभ नहीं मिलना चाहिए। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होनी चाहिए।

आवेदन की प्रक्रिया

पेंशन के लिए आवेदन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन के लिए राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर फॉर्म भर सकते हैं। पंचायत या प्रखंड कार्यालय में भी आवेदन फॉर्म जमा किया जा सकता है। आवश्यक दस्तावेज़ों में आय प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और उम्र का प्रमाण शामिल है।

दुश्मनों के लिए चेतावनी: भारत बना रहा 2 घातक फाइटर जेट

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना आने वाले वर्षों में एक नई ताकत और आत्मनिर्भरता के साथ आसमान में उड़ेगी। इसके पीछे हैं दो शक्तिशाली और अत्याधुनिक लड़ाकू विमान  तेजस मार्क-2 और एएमसीए (AMCA), जिनका निर्माण भारत में ही किया जा रहा है। ये सिर्फ विमान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की उड़ान के प्रतीक हैं, और भारत की सुरक्षा रणनीति को एक नई दिशा देने जा रहे हैं।

तेजस से आगे, तेजस मार्क-2

तेजस मार्क-2, मौजूदा तेजस फाइटर जेट का अपग्रेडेड संस्करण है। इसे "मीडियम वेट फाइटर" श्रेणी में रखा गया है। जहां तेजस एक हल्का लड़ाकू विमान था, वहीं तेजस मार्क-2 आकार, ताकत और तकनीक तीनों में कहीं ज्यादा उन्नत है। इस फाइटर जेट की लंबाई लगभग 14.6 मीटर होगी और इसमें GE F414 इंजन लगाया जाएगा, जो इसे 98 किलो न्यूटन तक का थ्रस्ट देगा। इसका मतलब है कि विमान न केवल तेज़ उड़ेगा, बल्कि अधिक हथियार भी ले जा सकेगा। 

इसमें आधुनिक AESA रडार, सेंसर फ्यूज़न तकनीक, और डिजिटल कॉकपिट जैसे फीचर्स होंगे जो इसे भविष्य की लड़ाइयों के लिए पूरी तरह तैयार बनाएंगे। तेजस मार्क-2 को पुराने हो चुके मिराज-2000, मिग-29 और जगुआर जैसे विमानों की जगह लेने के लिए तैयार किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने इसके विकास को मंज़ूरी दे दी है और उम्मीद की जा रही है कि इसकी पहली उड़ान 2027 तक होगी।

AMCA: भारत का पहला स्टील्थ फाइटर

दूसरा विमान है AMCA, Advanced Medium Combat Aircraft, जो भारत का पहला स्टील्थ लड़ाकू विमान होगा। यह पांचवीं पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट होगा, जिसमें रडार से छिपने की विशेष क्षमता (stealth), सुपरसोनिक क्रूज़ और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसी आधुनिक क्षमताएं होंगी।

AMCA पूरी तरह से स्वदेशी डिज़ाइन और तकनीक पर आधारित होगा। इसका निर्माण दो चरणों में होगा: पहले चरण में विदेशी इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा और दूसरे चरण में भारत खुद का इंजन विकसित करेगा। इसे DRDO और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने मिलकर डिज़ाइन किया है, और इसका निर्माण HAL के साथ मिलकर किया जाएगा।

इस फाइटर जेट का रणनीतिक महत्व

भारत के लिए ये दोनों विमान सिर्फ तकनीकी प्रगति नहीं हैं, बल्कि रणनीतिक संतुलन के लिहाज से भी अहम हैं। पड़ोसी देश चीन पहले से ही स्टेल्थ फाइटर J-20 को विकसित कर चुका है, और पाकिस्तान चीन से लड़ाकू विमान प्राप्त कर रहा है। ऐसे में तेजस मार्क-2 और AMCA भारतीय वायुसेना को तकनीकी रूप से कहीं अधिक सक्षम और प्रतिस्पर्धी बनाएंगे।

8वें वेतन आयोग: ग्रुप-D कर्मचारियों को होंगे 6 बड़े फायदे?

नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि अभी तक सरकार ने इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले कुछ वर्षों में इसे लागू किया जा सकता है। इस आयोग से खासतौर पर ग्रुप-D कर्मचारियों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है, जो न्यूनतम वेतन और सीमित भत्तों के साथ काम कर रहे हैं।

1. वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि

8वें वेतन आयोग से ग्रुप-D कर्मचारियों के मासिक वेतन में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है। वर्तमान में ये कर्मचारी न्यूनतम बेसिक पे पर काम कर रहे हैं, जो महंगाई के मुकाबले कम माना जाता है। नए वेतन आयोग में मूल वेतन (Basic Pay) को बढ़ाने और ग्रेड पे में संशोधन की मांग की जा रही है।

2. महंगाई भत्ता (DA) में बढ़ोतरी

महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में बढ़ोतरी की भी संभावना है। महंगाई दर के आधार पर मिलने वाला DA कर्मचारियों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति में अहम भूमिका निभाता है। संभावना है कि डीए की गणना की प्रक्रिया में संशोधन कर इसे मूल वेतन में मर्ज किया जा सकता है, जिससे कुल वेतन और पेंशन दोनों में बढ़ोतरी होगी।

3. बीमा कवर में बड़ा सुधार

वर्तमान में ड्यूटी के दौरान मृत्यु की स्थिति में मिलने वाला बीमा कवर ₹30,000 से ₹1.2 लाख तक है। ग्रुप-D कर्मचारी संगठनों की मांग है कि यह राशि ₹10 लाख से ₹15 लाख तक की जाए। यदि यह प्रस्ताव स्वीकार किया गया, तो यह कर्मचारियों के परिवारों को बेहतर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा।

4. पेंशन और रिटायरमेंट लाभों में बदलाव

पेंशनभोगियों के लिए कई बदलाव प्रस्तावित हैं, जैसे: 15 साल की जगह 12 साल में पेंशन की बहाली, हर 5 साल में पेंशन रिवीजन, ग्रैच्युटी और फैमिली पेंशन में वृद्धि, इन सभी बदलावों से रिटायरमेंट के बाद वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकेगी।

5. डीए गणना का नया फॉर्मूला

सरकार 10 साल पुराने डीए फॉर्मूले को अपडेट करने पर विचार कर रही है। यदि डीए को मूल वेतन में मर्ज किया जाता है, तो इससे कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी में बढ़ोतरी होगी और पेंशन की गणना भी लाभकारी होगी।

6. कार्य स्थलों पर सुविधाओं में सुधार

ग्रुप-D कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा, यूनिफॉर्म भत्ता, यात्रा भत्ता (TA) और अन्य सुविधाओं में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है। इन सुधारों से कार्यस्थल की स्थिति और जीवन स्तर में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि ये सभी चीजें अनुमानित हैं पूरी जानकारी सरकार के घोषणा के बाद ही सामने आएगी।

पपीता: एक फल, 10 रोगों की दवा – जानिए कैसे?

हेल्थ डेस्क। पपीता न सिर्फ स्वाद में मीठा होता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। यह एक ऐसा फल है जो सस्ता, आसानी से उपलब्ध और गुणों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन A, C, E, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स और एंजाइम्स की भरमार होती है, जो शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। आइए जानें पपीता किन 10 रोगों में रामबाण की तरह काम करता है।

1. कब्ज 

पपीता में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। यह आंतों की गति को सुधारता है और मल को नरम करके आसानी से बाहर निकालने में मदद करता है।

2. पाचन समस्याएं 

इस फल में पाए जाने वाला एंजाइम "पेपेन" प्रोटीन को पचाने में सहायता करता है। यह गैस, एसिडिटी और भारीपन जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।

3. लिवर की कमजोरी

पपीता लिवर को डिटॉक्स करता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स लिवर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

4. स्किन प्रॉब्लम्स

पपीता विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है, जो त्वचा को साफ और ग्लोइंग बनाते हैं। पपीता का सेवन और उसका फेस पैक दोनों ही कील-मुंहासों और दाग-धब्बों को दूर करने में मदद करते हैं।

5. आंखों की रोशनी

इसमें विटामिन A और बीटा कैरोटीन मौजूद होते हैं, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने और मोतियाबिंद जैसी समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं।

6. इम्यून सिस्टम की कमजोरी

पपीता में मौजूद विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं, जिससे सामान्य संक्रमणों से बचाव होता है।

7. जोड़ों का दर्द

पपीता का एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन और जोड़ों के दर्द में आराम पहुंचा सकता है। यह ऑर्थराइटिस जैसी बीमारियों के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।

8. मासिक धर्म में दर्द

पपीता का नियमित सेवन हार्मोन को संतुलित करता है और मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन से राहत देता है।

9. हृदय रोग

इसमें मौजूद फाइबर, पोटैशियम और एंटीऑक्सिडेंट्स कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और दिल को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

10. बालों की समस्या

पपीता में मौजूद पोषक तत्व स्कैल्प को पोषण देते हैं, जिससे बालों का गिरना कम होता है और रूसी से छुटकारा मिलता है।

ग्रुप-C और ग्रुप-D के 8000+ पदों पर बंपर भर्ती

कोलकाता।  सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए अच्छी खबर है। पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) ने राज्यभर के सरकारी स्कूलों में नॉन-टीचिंग स्टाफ की बंपर भर्ती का शॉर्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। आयोग इस बार ग्रुप-C और ग्रुप-D के कुल 8,477 पदों पर योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति करेगा।

इस भर्ती अभियान के तहत ग्रुप-C (क्लर्क) के 2,989 पद और ग्रुप-D (चपरासी, अटेंडेंट आदि) के 5,488 पद भरे जाएंगे। आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी, जिसकी शुरुआत 16 सितंबर 2025 शाम 5 बजे से होगी। इच्छुक उम्मीदवार आयोग की आधिकारिक वेबसाइट westbengalssc.com पर जाकर आवेदन कर सकेंगे।

पदों का विवरण:

ग्रुप-C (क्लर्क): 2,989 पद

ग्रुप-D: 5,488 पद

जानें कैसे करें आवेदन:

सबसे पहले उम्मीदवार westbengalssc.com पर जाएं। होमपेज पर “ऑनलाइन आवेदन” लिंक पर क्लिक करें। नए यूज़र्स को पहले रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद लॉग इन कर आवेदन फॉर्म भरें। सभी जानकारियाँ भरने के बाद शुल्क जमा करें। फॉर्म को सबमिट कर उसका प्रिंट आउट सुरक्षित रखें।

जरूरी तिथियां:

आवेदन शुरू: 16 सितंबर 2025 (शाम 5 बजे)

आवेदन की अंतिम तिथि: 31 अक्टूबर 2025 (शाम 5 बजे)

फीस भुगतान की अंतिम तिथि: 31 अक्टूबर 2025 (रात 11:59 बजे)

योग्यता क्या होगी?

भर्ती से संबंधित विस्तृत जानकारी, जैसे शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, चयन प्रक्रिया और वेतनमान आदि की जानकारी आयोग की वेबसाइट पर विजिट करें।

8वें वेतन आयोग: ₹53,100 बेसिक-पे वालों की नई सैलरी?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर हो सकती है, क्योंकि 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अनुमानित गणनाओं के आधार पर कर्मचारी अपने संभावित वेतन में बढ़ोतरी का अंदाज़ा लगाने लगे हैं। 

इस रिपोर्ट में हम 8वें वेतन आयोग में ₹53,100 बेसिक-पे वाले कर्मचारियों की संभावित नई सैलरी का विश्लेषण करेंगे, जो कि लेवल-9 (Pay Matrix Level 9) के अंतर्गत आते हैं। 

क्या होता है 'फिटमेंट फैक्टर'?

किसी भी वेतन आयोग का मूल आधार उसका फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) होता है। यह एक निश्चित संख्या होती है जिससे मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा करके नई बेसिक सैलरी तय की जाती है। उदाहरण के लिए: 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसकी वजह से न्यूनतम बेसिक सैलरी ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 हो गई थी।

8वें वेतन आयोग में संभावित फिटमेंट फैक्टर

हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों और रिपोर्ट्स के अनुसार 1.92 से लेकर 2.86 तक के फिटमेंट फैक्टर की चर्चा है। यदि 1.92 फिटमेंट फैक्टर को मान लिया जाए (जो कि एक यथार्थवादी और संभावित अनुमान है), तो उसके आधार पर मौजूदा बेसिक सैलरी पर इस प्रकार प्रभाव पड़ेगा।

₹53,100 बेसिक-पे पर नई सैलरी का अनुमान:

मौजूदा बेसिक सैलरी: ₹53,100

फिटमेंट फैक्टर (1.92) × 1.92

नई अनुमानित बेसिक: ₹1,01,952

इस नई बेसिक सैलरी पर DA (महंगाई भत्ता), HRA (मकान किराया भत्ता), TA (यात्रा भत्ता) आदि जोड़ने पर कुल मासिक सैलरी और भी अधिक हो जाएगी। हालांकि, सरकार ने अभी तक 8वें वेतन आयोग के गठन की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। परंतु विभिन्न कर्मचारी संगठनों की ओर से इसकी मांग लगातार की जा रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि 2026 से इसे लागू किया जा सकता हैं।

हर दिन खाएं खजूर, ये 6 बीमारियां रहेगी हमेशा दूर

हेल्थ डेस्क। खजूर स्वाद में मीठा और सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर आप रोजाना खजूर का सेवन करें तो कई गंभीर बीमारियों से बचाव संभव है। इसमें पाए जाने वाले विटामिन, मिनरल्स और फाइबर आपकी सेहत को कई तरह से मजबूत बनाते हैं। आइए जानते हैं कि रोजाना खजूर खाने से कौन-कौन सी 6 बड़ी बीमारियां दूर रह सकती हैं।

1. दिल की बीमारी:

खजूर में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम हृदय को स्वस्थ रखते हैं। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है।

2. कब्ज और पाचन:

खजूर में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। नियमित सेवन से कब्ज, गैस और अपच जैसी परेशानियां दूर रहती हैं।

3. कमजोरी की समस्या:

खजूर में आयरन, कैल्शियम और विटामिन बी जैसे तत्व होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और एनीमिया जैसी समस्याओं से बचाते हैं।

4. तनाव और मानसिक थकान:

खजूर में मौजूद प्राकृतिक शर्करा और एंटीऑक्सिडेंट मस्तिष्क को शांत रखते हैं, जिससे तनाव और मानसिक थकान कम होती है।

5. हड्डियों की कमजोरी:

खजूर में मैग्नीशियम, फास्फोरस और कैल्शियम होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाव करते हैं।

6. कमजोर इम्यून सिस्टम:

खजूर में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और संक्रमण से बचाव करते हैं।

घर में लगाएं 4 पौधे, वास्तु दोष होंगे दूर और आएगी सुख-शांति

धर्म डेस्क। आज के तेजी से बढ़ते तनाव और भाग-दौड़ भरी जिंदगी में घर की सुख-शांति बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में ऊर्जा का संतुलन सही रखना जीवन में सकारात्मकता लाता है और वास्तु दोष दूर होने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। इसके लिए घर में कुछ खास पौधे लगाना बेहद लाभकारी माना गया है। ये पौधे न केवल घर की हवा को शुद्ध करते हैं, बल्कि वास्तु दोष भी दूर करते हैं।

1. तुलसी का पौधा

तुलसी को धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है। यह पौधा घर के मुख्य द्वार के निकट लगाने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। तुलसी घर की समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।

2. मनी प्लांट

मनी प्लांट को वास्तु में धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे घर के पूर्व या उत्तर दिशा में लगाने से धन लाभ होता है और परिवार में खुशहाली आती है। इसकी देखभाल भी आसान होती है।

3. एलोवेरा

एलोवेरा को स्वास्थ्य और सुरक्षा का पौधा कहा जाता है। यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। एलोवेरा को रसोई या बैठक कमरे में रखना शुभ माना जाता है।

4. लैवेंडर

लैवेंडर का पौधा घर में शांति और सुकून लाने के लिए जाना जाता है। इसका हल्का खुशबूदार फूल तनाव को कम करता है और घर के वातावरण को शीतल बनाता है। इसे दक्षिण दिशा में लगाना उत्तम रहता है।

ट्रंप की नाराजगी बढ़ी, Quad समिट में नहीं आएंगे भारत!

नई दिल्ली। इस साल के अंत में भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन को लेकर एक बड़ा राजनीतिक ड्रामा सामने आया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में ये बाते सामने आई है की ट्रंप ने अपने भारत दौरे को रद्द कर दिया है, जो पहले इस साल के अंत में होने वाला था।

भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास की वजह क्या है?

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में इस समय काफी तनाव है। खासकर ट्रंप प्रशासन के द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद से दोनों देशों के बीच दूरी बढ़ी है। अमेरिका की ओर से लगाए गए व्यापारिक शुल्कों ने भारत को आर्थिक नुकसान पहुँचाया है, जिसकी वजह से भारत की प्रतिक्रिया कड़ी रही है। इस तनाव के चलते ट्रंप ने भारत दौरे को रद्द कर दिया है।

क्वाड समिट: भारत की मेजबानी और महत्व

भारत इस वर्ष क्वाड समिट की मेजबानी करने जा रहा है। क्वाड (QUAD) एक सामरिक समूह है जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। यह समूह Indo-Pacific क्षेत्र में सामरिक और आर्थिक सुरक्षा के मुद्दों पर सहयोग करता है। जनवरी में इस समूह की विदेश मंत्रियों की बैठक भी भारत ने सफलतापूर्वक आयोजित की थी। लेकिन इस साल के शिखर सम्मेलन में ट्रंप की अनुपस्थिति एक बड़ा संकेत है कि अमेरिका-भारत रिश्तों में तनाव गहरा गया है।

भविष्य की राह क्या होगी?

भारत और अमेरिका के बीच इस कड़वाहट के बावजूद दोनों देशों के लिए एक-दूसरे का महत्व कम नहीं हुआ है। व्यापार, सुरक्षा और सामरिक साझेदारी के क्षेत्र में दोनों देशों को सहयोग की जरूरत है। ऐसे में यह देखना होगा कि आगे आने वाले महीनों में दोनों पक्ष किस तरह से अपने मतभेदों को कम कर पाते हैं और क्वाड जैसे प्लेटफॉर्म पर सामूहिक सहयोग को मजबूत करते हैं।

यूपी में बिजली उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर, तुरंत पढ़ें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर से जेब पर बोझ बढ़ने का सामना करना पड़ेगा। सितंबर माह के बिजली बिल में उपभोक्ताओं को जून महीने के ईंधन अधिभार (एफएसी - फ्यूल अजस्टमेंट चार्ज) के रूप में 2.34 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क चुकाना होगा। यह वृद्धि ऐसे समय में की जा रही है जब पहले से ही लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं।

क्या है ईंधन अधिभार?

ईंधन अधिभार एक ऐसा शुल्क होता है, जिसे विद्युत कंपनियाँ कोयला, गैस या अन्य ईंधन की लागत में उतार-चढ़ाव के आधार पर उपभोक्ताओं से वसूलती हैं। इसका मकसद बिजली उत्पादन में बढ़ी हुई लागत की भरपाई करना होता है। हालांकि, यह शुल्क हर महीने अलग-अलग हो सकता है और उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी आमतौर पर बिल के जरिए ही मिलती है।

पिछले और वर्तमान अधिभार में फर्क

अगस्त महीने के बिजली बिल में मई माह का ईंधन अधिभार जुड़ा था, जो मात्र 0.24 प्रतिशत था। लेकिन अब सितंबर में उपभोक्ताओं को जून के अधिभार के रूप में 2.34 प्रतिशत तक ज्यादा बिल देना होगा। इससे राज्य में कुल 184.41 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली होगी।

उपभोक्ता परिषद की आपत्ति

उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस बढ़ोतरी पर कड़ा ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि विद्युत निगमों के पास उपभोक्ताओं का करीब 33122 करोड़ रुपये सरप्लस के रूप में जमा है। ऐसे में ईंधन अधिभार जैसे शुल्क को इसी राशि से समायोजित किया जा सकता है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि धीरे-धीरे निगमों के ऊपर जमा उपभोक्ताओं की अतिरिक्त राशि भी घटेगी।

उपभोक्ताओं की बढ़ती चिंताएं

यह फैसला आम जनता के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। खासकर मध्यम वर्ग और निम्न आयवर्ग के उपभोक्ता, जो पहले से ही बिजली के बढ़ते बिलों से परेशान हैं, उन्हें अब हर महीने अलग-अलग कारणों से और अधिक शुल्क देना पड़ रहा है।

जायफल से करें इन 5 गुप्त बीमारियों का इलाज!

हेल्थ डेस्क। जहां एक ओर आधुनिक जीवनशैली ने पुरुषों के स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित किया है, वहीं आयुर्वेद एक बार फिर से प्राकृतिक उपचार की ओर लोगों का ध्यान खींच रहा है। जायफल, जो आमतौर पर एक मसाले के रूप में रसोई में उपयोग होता है, अब गुप्त रोगों के घरेलू उपचार के रूप में उभर रहा है।

आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, जायफल का नियमित सेवन पुरुषों की यौन समस्याओं, मानसिक तनाव और हार्मोनल असंतुलन को दूर करने में सहायक हो सकता है। इसके सेवन से शरीर की कई तरह की समस्या ठीक हो सकती हैं।

इन 5 गुप्त समस्याओं में फायदेमंद है जायफल:

1. शीघ्रपतन

विशेषज्ञ बताते हैं कि जायफल मस्तिष्क की नसों को शिथिल कर यौन समय बढ़ाने में मदद करता है। इसे दूध के साथ मिलाकर रात में लेने से लाभ मिलता है।

2. नपुंसकता

पुरुषों में यौन दुर्बलता और आत्मविश्वास की कमी से जुड़ी यह समस्या जायफल से काफी हद तक नियंत्रित की जा सकती है। शहद और सफेद मूसली के साथ इसका सेवन लाभकारी माना गया है।

3. कामेच्छा में कमी

आज के समय में तनाव और खानपान के कारण libido की कमी आम बात हो गई है। जायफल को एक शक्तिशाली प्राकृतिक कामोत्तेजक माना गया है, जो इच्छा में वृद्धि करता है।

4. शुक्राणु की कमी

आपको बता दें की जायफल में मौजूद प्राकृतिक खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में वीर्य की गुणवत्ता व मात्रा को बेहतर बनाते हैं।

5. मानसिक तनाव और कमजोरी

जायफल का सेवन मानसिक थकान और कमजोरी को कम करता है, जिससे यौन प्रदर्शन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

8वें वेतन आयोग: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बदल सकती हैं ये 5 चीजें?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा के बाद से देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। भले ही अब तक इस पर कोई अंतिम रिपोर्ट या तारीख सामने नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कई बड़े बदलावों की संभावना जताई जा रही है।

करीब 1.15 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन ढांचे में परिवर्तन करने वाला यह आयोग 7वें वेतन आयोग की जगह लेगा, जिसका कार्यकाल दिसंबर 2025 में समाप्त हो रहा है। आइए जानते हैं कि 8वें वेतन आयोग के लागू होने पर किन 5 प्रमुख पहलुओं में बदलाव हो सकता है, और इसका कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

1. न्यूनतम वेतन में संभावित वृद्धि

सबसे चर्चित बदलावों में से एक है न्यूनतम वेतन में इजाफा। कई रिपोर्ट्स के अनुसार वर्तमान न्यूनतम वेतन ₹18,000 से बढ़ाकर ₹34,500 से ₹41,000 के बीच किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत और क्रयशक्ति बढ़ाने वाला कदम होगा।

2. कुछ भत्तों में कटौती की संभावना

जहां एक ओर वेतन बढ़ने की संभावना है, वहीं कुछ पुराने भत्तों को खत्म किया जा सकता है। इसमें स्पेशल ड्यूटी अलाउंस, रीजनल अलाउंस जैसे भत्तों की समीक्षा की जा रही है। हालांकि, अभी सरकार की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। यह देखा जाना बाकी है कि किस तरह का पुनर्गठन किया जाएगा।

3. महंगाई के अनुसार भत्तों में संशोधन

जैसे-जैसे महंगाई दर बढ़ रही है, वैसे-वैसे DA (महंगाई भत्ता), HRA (हाउस रेंट अलाउंस) और TA (यात्रा भत्ता) में भी वृद्धि की जरूरत महसूस की जा रही है। 8वें वेतन आयोग में इन भत्तों की स्वचालित समीक्षा प्रणाली पर फोकस किया जा सकता है, जिससे भत्ते महंगाई के साथ अपने आप समायोजित होते रहें।

4. पेंशन प्रणाली में स्वचालित समायोजन और पारदर्शिता

8वें वेतन आयोग के तहत पेंशन वितरण प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और स्वचालित बनाने की योजना बन सकती है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि पेंशनरों को समय पर भुगतान मिले और उन्हें किसी प्रकार की प्रशासनिक अड़चनों का सामना न करना पड़े।

5. प्रदर्शन आधारित वेतन प्रणाली की शुरुआत

सरकारी सेवाओं में दक्षता और परिणामों पर आधारित वेतन प्रणाली को प्रोत्साहित करने की दिशा में 8वें वेतन आयोग एक बड़ा कदम हो सकता है। ऐसे में प्रोडक्टिविटी लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) या परफॉर्मेंस बेस्ड प्रमोशन जैसी पहल की जा सकती हैं, जो बेहतर कार्य प्रदर्शन को बढ़ावा देंगी।

परमाणु बम का ‘बाप’ है हाइड्रोजन बम, सिर्फ इन देशों के पास!

नई दिल्ली। जब बात दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों की होती है, तो हाइड्रोजन बम (Hydrogen Bomb) का नाम सबसे ऊपर आता है। यह सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि ऐसा वैज्ञानिक प्रयोग है जो चंद सेकंडों में एक पूरे शहर को धूल में बदल सकता है। इसकी ताकत इतनी ज्यादा है कि पारंपरिक परमाणु बम इसके सामने कमजोर नज़र आते हैं।

दरअसल, परमाणु बम जहां यूरेनियम या प्लूटोनियम के विखंडन से काम करता है, वहीं हाइड्रोजन बम में दोहरे चरण की प्रक्रिया होती है। पहले न्यूक्लियर फिशन और फिर फ्यूजन। यही कारण है कि इसकी विनाशकारी क्षमता कई गुना अधिक होती है।

कौन-कौन देश हैं हाइड्रोजन बम के मालिक?

हाइड्रोजन बम बनाना न केवल तकनीकी रूप से बेहद जटिल है, बल्कि इसके लिए अरबों डॉलर की लागत भी आती है। यही वजह है कि दुनिया के केवल गिने-चुने देशों ने ही इसे सफलतापूर्वक विकसित किया है। कुछ ही देशों के पास ये बम आधिकारिक रूप से मौजूद हैं।

अमेरिका: हाइड्रोजन बम का पहला सफल परीक्षण अमेरिका ने 1952 में 'आइवी माइक' नाम से किया था। आज अमेरिका के पास हजारों परमाणु हथियार हैं, जिनमें कई हाइड्रोजन बम भी शामिल हैं। B-41 और B-83 जैसे हथियार इसकी क्षमता के उदाहरण हैं। आधुनिक तकनीक से लैस इसकी मिसाइलें इसे एक अजेय शक्ति बनाती हैं।

रूस: रूस ने 1955 में पहला परीक्षण किया और 1961 में ‘त्सार बोम्बा’ नामक अब तक का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन बम फोड़ा, जिसकी शक्ति 50 मेगाटन थी। रूस के पास परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा भंडार है और उसकी मिसाइल टेक्नोलॉजी उसे वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा खतरा बनाती है।

चीन, फ्रांस और ब्रिटेन: ये तीनों देश भी सफलतापूर्वक हाइड्रोजन बम विकसित कर चुके हैं। चीन का हथियार भंडार तेजी से बढ़ रहा है, जबकि ब्रिटेन और फ्रांस आधुनिक, सीमित लेकिन घातक हथियारों पर ध्यान दे रहे हैं। ब्रिटेन की ट्राइडेंट मिसाइल प्रणाली इसे समुद्र से भी हमला करने की क्षमता देती है।

उत्तर कोरिया: उत्तर कोरिया ने 2017 में हाइड्रोजन बम के परीक्षण का दावा किया था। हालांकि इसकी शक्ति को लेकर संशय बना हुआ है। फिर भी, इसका मिसाइल कार्यक्रम और लगातार उकसावे वाले परीक्षण चिंता का विषय हैं।

भारत और पाकिस्तान की स्थिति क्या है?

भारत ने 1998 में पोखरण परीक्षण के दौरान थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का दावा किया था, लेकिन इसकी पूर्ण पुष्टि नहीं हो पाई। पाकिस्तान के पास भी कई परमाणु हथियार हैं, मगर हाइड्रोजन बम की तकनीक की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।

इजरायल: इजरायल अपनी परमाणु नीति पर चुप्पी साधे हुए है। विशेषज्ञों का मानना है कि उसके पास न्यूक्लियर हथियार हैं, लेकिन हाइड्रोजन बम के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

हर दिन खाएं ये 3 चीजें, नहीं होगा 'फैटी लिवर'!

हेल्थ डेस्क। फैटी लिवर यानी जिगर में चर्बी जमना, आजकल एक आम स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। बदलती जीवनशैली, गलत खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण यह बीमारी तेजी से फैल रही है। अच्छी बात ये है कि थोड़े से बदलाव और कुछ खास चीजों को अपने रोज़मर्रा के आहार में शामिल कर इस समस्या से बचा जा सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सही समय पर ध्यान दिया जाए, तो फैटी लिवर को न केवल रोका जा सकता है, बल्कि इसे बिना दवा के ठीक भी किया जा सकता है। आइए जानते हैं वे 3 चीजें जो हर दिन खाने से लिवर रहेगा स्वस्थ और फैट नहीं जमा होगा।

1. अदरक

अदरक में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट तत्व लिवर को साफ रखने में मदद करते हैं। यह पाचन को बेहतर बनाता है और लिवर पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ने देता। रोज़ सुबह गुनगुने पानी में अदरक का रस मिलाकर पीना फायदेमंद साबित हो सकता है।

2. हल्दी

हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन (Curcumin) लिवर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है और शरीर में चर्बी के जमाव को कम करता है। दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर रोज़ रात को पीने से फैटी लिवर की समस्या में काफी राहत मिल सकती है।

3. अलसी के बीज

अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो लिवर में सूजन कम करने और फैट के जमाव को रोकने में मदद करते हैं। आप इन्हें सुबह-सुबह एक चम्मच खाली पेट गर्म पानी के साथ ले सकते हैं, या फिर दही और स्मूदी में मिलाकर भी खा सकते हैं।

इन बातों का भी रखें ध्यान

जंक फूड और ज्यादा तेल-मसाले से परहेज़ करें, रोज़ाना 30 मिनट व्यायाम करें, पानी अधिक पिएं और नींद पूरी लें।

बिहार की ये सड़क होगी चौड़ी, इन जिलों को बड़ी खुशखबरी

भागलपुर। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हाल ही में घोषित बांका-भागलपुर मुख्य सड़क के चौड़ीकरण कार्य ने स्थानीय लोगों के वर्षों पुराने सपनों को साकार करने की दिशा में ठोस शुरुआत कर दी है। करीब 199 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह सड़क 44.300 किलोमीटर लंबी होगी और इसकी चौड़ाई 7 मीटर से बढ़ाकर 10 मीटर की जा रही है।

यह परियोजना न केवल बांका और भागलपुर जिलों के लिए, बल्कि झारखंड, पश्चिम बंगाल, कोसी और सीमांचल क्षेत्रों के लिए भी विकास का नया द्वार खोलने जा रही है। अमरपुर में बनने वाले बाईपास से जहां ट्रैफिक जाम की समस्या से राहत मिलेगी, वहीं सड़क के बेहतर और चौड़े होने से व्यापारिक आवागमन सुगम हो जाएगा।

आधुनिकता की ओर बढ़ते कदम

इस सड़क परियोजना के तहत दस छोटी पुलियों के साथ-साथ दो मेगाब्रिज का भी निर्माण प्रस्तावित है। इनमें एक बांका के इंग्लिश मोड़ पर तथा दूसरा भागलपुर जिले के रतनगंज के आगे बनाया जाएगा। ये पुलियाँ और पुल न केवल यातायात को आसान बनाएंगे बल्कि वर्षा ऋतु में जलजमाव और आवागमन की रुकावटों से भी निजात दिलाएंगे।

राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनता की भागीदारी

स्थानीय विधायक एवं भवन निर्माण मंत्री जयंत राज ने बताया कि यह परियोजना जनता की मांगों पर आधारित है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे अपनी प्रगति यात्रा के दौरान स्वीकृति दी है। शिलान्यास भी इसी यात्रा के दौरान किया गया, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि सरकार जमीनी स्तर पर कार्यों को प्राथमिकता दे रही है।

इस सड़क के चौड़ीकरण से आर्थिक और सामाजिक लाभ

इस सड़क के चौड़ीकरण से न केवल स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा होगी, बल्कि इससे क्षेत्रीय व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, और पर्यटन को भी नई ऊर्जा मिलेगी। बिहार, झारखंड और बंगाल के बीच आर्थिक संबंध और अधिक मजबूत होंगे।