भारत बनाम अमेरिका: कर्ज़ में दबा अमेरिका, ग्रोथ में आगे भारत

नई दिल्ली। वर्तमान वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका और भारत दोनों की भूमिका अहम है, लेकिन कर्ज़ और आर्थिक विकास (GDP ग्रोथ) के आंकड़े इन दोनों देशों की वित्तीय स्थिति की एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं। अमेरिका भले ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो, लेकिन कर्ज़ के मामले में वह बुरी तरह जकड़ा हुआ है। इसके विपरीत, भारत तुलनात्मक रूप से संतुलित और तेज़ विकासशील अर्थव्यवस्था बनकर उभर रहा है।

कर्ज़ का बोझ: अमेरिका के लिए बड़ी चिंता

अमेरिका पर कुल कर्ज़ 3021 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। भारत के मुकाबले यह संख्या चौंकाने वाली है, क्योंकि भारत का कुल कर्ज़ लगभग 182 लाख करोड़ रुपये है। इतना ही नहीं, अगर डेट-टू-जीडीपी रेशियो की बात करें तो अमेरिका का अनुपात लगभग 125% है, यानी अमेरिका पर उसकी सालाना GDP से भी अधिक कर्ज है।

वहीं भारत का डेट-टू-जीडीपी रेशियो 56.10% है, जो कि भारत के कर्ज़ प्रबंधन की कहीं बेहतर स्थिति को दर्शाता है। इससे स्पष्ट होता है कि भारत, अपनी आय के मुकाबले कम कर्ज़ ले रहा है और उसे बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पा रहा है।

अर्थव्यवस्था की रफ्तार: ग्रोथ में भारत आगे

जहां एक ओर अमेरिका की वास्तविक GDP वृद्धि दर (Real GDP Growth) महज़ 3% के आस-पास बनी हुई है, वहीं भारत इस मोर्चे पर काफी आगे है। भारत की वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.5% है, और 2025-26 की पहली तिमाही में यह आंकड़ा और भी बेहतर रहा 7.8%, जो कि पिछली पांच तिमाहियों में सबसे अधिक है। यह तेज़ ग्रोथ बताती है कि भारत न सिर्फ एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, बल्कि विश्व स्तर पर एक मज़बूत प्रतिस्पर्धी भी बन रहा है।

महंगाई दर में समानता, लेकिन बैकग्राउंड अलग

भारत और अमेरिका दोनों में महंगाई दर (Inflation Rate) लगभग समान है, लेकिन दोनों की पृष्ठभूमि अलग है। अमेरिका में महंगाई मुख्य रूप से कर्ज़ और आपूर्ति श्रृंखला के दबाव से प्रभावित है, जबकि भारत में यह मांग, कच्चे तेल और खाद्य वस्तुओं की कीमतों से जुड़ी हुई है। लेकिन भारत की बढ़ती GDP ग्रोथ के चलते महंगाई का असर कुछ हद तक संतुलित रहता है, जबकि अमेरिका को अपनी धीमी ग्रोथ के साथ इस पर काबू पाने में ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है।

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