10 से 12 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित बजट
इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 10 से 12 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है। जैसे ही इसे स्वीकृति मिलेगी, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। यह निवेश न केवल सड़क निर्माण तक सीमित रहेगा, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को भी प्रभावित करेगा।
व्यापार, निवेश और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस एक्सप्रेस-वे के जरिए सड़क संपर्क बेहतर होने से व्यापारियों को परिवहन में सुविधा मिलेगी, जिससे लागत घटेगी और व्यापार बढ़ेगा। वहीं पर्यटन स्थलों तक आसान पहुंच पर्यटन उद्योग को नया जीवन दे सकती है। निवेशकों के लिए भी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर एक बड़ा आकर्षण बनेगा।
चौड़ी भूमि और सर्विस रोड की योजना
इस परियोजना के लिए 60 से 80 मीटर चौड़ी भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है। मुख्य सड़क के दोनों ओर सर्विस रोड भी बनेंगी, जिससे स्थानीय लोगों को आवागमन में सहूलियत मिलेगी। इससे मुख्य हाईवे पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा और दुर्घटनाओं में कमी आने की संभावना है।
ओवरब्रिज और बड़े पुलों का निर्माण
93 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर चार रेलवे ओवरब्रिज और तीन बड़े पुल प्रस्तावित हैं। इनमें प्रतापगढ़ और सुलतानपुर में बनने वाले ओवरब्रिज शामिल हैं। इसके अलावा सई, गोमती और शारदा नहर पर बनने वाले पुल इस परियोजना को इंजीनियरिंग की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
67 गांव होंगे सीधे लाभान्वित
एक्सप्रेस-वे का मार्ग प्रतापगढ़ और सुलतानपुर के कुल 67 गांवों से होकर गुजरेगा। इससे इन ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी सुविधाओं से जोड़ना आसान होगा। स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और उनकी जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।
डीपीआर का कार्य प्रगति पर
वर्तमान में परियोजना की मैपिंग और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है। दिल्ली स्थित कंसल्टेंट कंपनी टीएएसपीएल इस कार्य को अंजाम दे रही है। डीपीआर तैयार होने के बाद इसे केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
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