विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट: क्या-क्या घटा?
1. विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA): भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा FCA में होता है। इस सप्ताह इसमें $3.652 अरब डॉलर की गिरावट आई है, जिससे यह घटकर $582.251 अरब डॉलर पर आ गया है। FCA में गिरावट आमतौर पर डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं (जैसे यूरो, येन, पाउंड) की कमजोरी, पूंजी के बहिर्गमन या विदेशी निवेश की कमी के कारण होती है।
2. स्वर्ण भंडार (Gold Reserves): भारत के सोने के भंडार में भी $464 मिलियन की कमी देखी गई है। यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब सोने के भंडार में गिरावट आई है, जो यह दर्शाता है कि वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों या भारत के सोने की होल्डिंग में किसी कारण से कमी आई है।
3. विशेष आहरण अधिकार (SDR): एसडीआर में भी हल्की गिरावट हुई है, जिसमें $23 मिलियन की कमी दर्ज की गई है। SDR को IMF द्वारा जारी किया जाता है और यह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के लिए उपयोग होता है।
4. IMF में जमा मुद्रा भंडार: IMF में जमा भारत के रिज़र्व में भी $23 मिलियन की गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह घटकर $4.731 अरब डॉलर रह गया।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के संभावित कारण
1 .वैश्विक मुद्रा अस्थिरता: डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं की गिरावट FCA में गिरावट का एक बड़ा कारण बन सकती है।
2 .तेल आयात बिल में वृद्धि: यदि क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ी हैं, तो भारत को ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ते हैं, जिससे भंडार में कमी आती है।
3 .विदेशी निवेश में गिरावट: विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर या बॉन्ड मार्केट से पूंजी निकालना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है।
विदेश मुद्रा भंडार में गिरावट के क्या है इसका असर?
1 .रुपये पर दबाव: फॉरेन रिज़र्व में गिरावट से भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे रुपये की वैल्यू में गिरावट हो सकती है।
2 .विदेशी निवेशकों की धारणा: रिज़र्व में गिरावट विदेशी निवेशकों के लिए एक नकारात्मक संकेत हो सकता है।
3 .आयात महंगा हो सकता है: अगर रिज़र्व बहुत तेजी से घटता है, तो आयात पर निर्भर वस्तुएं जैसे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयाँ महंगी हो सकती हैं।
4 .आर्थिक अस्थिरता की आशंका: यदि गिरावट जारी रही, तो यह सरकार और रिजर्व बैंक के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
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