बिहार में किसकी बनेगी सरकार? नए सर्वे ने सबको चौकाया

पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनावों से पहले सियासी हलचलें तेज़ हैं, और अब एक नए चुनावी सर्वे ने सभी राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। टाइम्स नाऊ नवभारत और जेवीसी द्वारा किए गए इस सर्वे में यह दावा किया गया है कि राज्य में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनने की संभावना है।

एनडीए को बहुमत के संकेत, महागठबंधन पिछड़ता दिखा

सर्वे के अनुसार, अगर आज चुनाव होते हैं तो एनडीए को 136 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, महागठबंधन सिर्फ 75 सीटों पर सिमटता नजर आ रहा है। 243 सीटों वाली विधानसभा में 122 का आंकड़ा पार करना जरूरी है, और सर्वे के मुताबिक एनडीए इससे कहीं आगे निकलता दिख रहा है।

एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को 64 सीटों पर सीधी जीत का अनुमान है, जबकि 17 सीटों पर बढ़त बताई जा रही है। जेडीयू 29 सीटें जीतती नजर आ रही है और दो सीटों पर आगे है। वहीं, गठबंधन के अन्य दल मिलकर छह सीटें जीतते और 18 पर लीड करते दिख रहे हैं।

महागठबंधन में RJD आगे, लेकिन समीकरण कमजोर

महागठबंधन में आरजेडी 37 सीटों पर जीतती दिख रही है और 15 सीटों पर बढ़त बना रही है। कांग्रेस को आठ सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि दो सीटों पर लीड है। वाम दलों की स्थिति कुछ मजबूत नजर आ रही है, सीपीआई (ML) को सात सीटें जीतने का अनुमान है और दो सीटों पर वह आगे है। अन्य छोटे घटक दल एक सीट जीतते और तीन पर लीड करते दिख रहे हैं।

26 सीटों पर है कांटे की टक्कर

सर्वे में यह भी बताया गया है कि 26 सीटें ऐसी हैं जहां मुकाबला बेहद करीबी होने की संभावना है। इन सीटों पर हार-जीत का अंतर बेहद कम हो सकता है और यहां पर अंतिम समय के फैसले, उम्मीदवारों की लोकप्रियता, और स्थानीय मुद्दे निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

जातीय जनगणना का असर किसे?

सर्वे में एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी पूछा गया कि जातीय जनगणना से किसे राजनीतिक फायदा मिल सकता है। 47.1% लोगों का मानना है कि इसका फायदा एनडीए को मिलेगा, जबकि 37.2% ने महागठबंधन को लाभ मिलने की बात कही। वहीं, 15.7% लोगों ने कहा कि इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। यह आंकड़े संकेत देते हैं कि जातिगत मुद्दे, जो बिहार की राजनीति का लंबे समय से अहम हिस्सा रहे हैं, अब भी मतदाताओं की सोच पर असर डाल रहे हैं। लेकिन इसका लाभ किसे मिलेगा, यह तस्वीर अब भी पूरी तरह साफ नहीं है।

राजनीतिक यात्राएं और चुनावी तैयारी

चुनाव आयोग इस समय राज्य में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) करा रहा है, जिसे लेकर सियासी माहौल गर्माया हुआ है। राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ और दूसरी ओर नीतीश कुमार का एनडीए नेतृत्व दोनों ही पक्ष आगामी चुनाव को लेकर अपनी रणनीति के साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं।

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