क्या है ईंधन अधिभार?
ईंधन अधिभार एक ऐसा शुल्क होता है, जिसे विद्युत कंपनियाँ कोयला, गैस या अन्य ईंधन की लागत में उतार-चढ़ाव के आधार पर उपभोक्ताओं से वसूलती हैं। इसका मकसद बिजली उत्पादन में बढ़ी हुई लागत की भरपाई करना होता है। हालांकि, यह शुल्क हर महीने अलग-अलग हो सकता है और उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी आमतौर पर बिल के जरिए ही मिलती है।
पिछले और वर्तमान अधिभार में फर्क
अगस्त महीने के बिजली बिल में मई माह का ईंधन अधिभार जुड़ा था, जो मात्र 0.24 प्रतिशत था। लेकिन अब सितंबर में उपभोक्ताओं को जून के अधिभार के रूप में 2.34 प्रतिशत तक ज्यादा बिल देना होगा। इससे राज्य में कुल 184.41 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली होगी।
उपभोक्ता परिषद की आपत्ति
उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस बढ़ोतरी पर कड़ा ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि विद्युत निगमों के पास उपभोक्ताओं का करीब 33122 करोड़ रुपये सरप्लस के रूप में जमा है। ऐसे में ईंधन अधिभार जैसे शुल्क को इसी राशि से समायोजित किया जा सकता है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि धीरे-धीरे निगमों के ऊपर जमा उपभोक्ताओं की अतिरिक्त राशि भी घटेगी।
उपभोक्ताओं की बढ़ती चिंताएं
यह फैसला आम जनता के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। खासकर मध्यम वर्ग और निम्न आयवर्ग के उपभोक्ता, जो पहले से ही बिजली के बढ़ते बिलों से परेशान हैं, उन्हें अब हर महीने अलग-अलग कारणों से और अधिक शुल्क देना पड़ रहा है।
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