BRICS का बिग प्लान: क्या अमेरिका को मात दे पाएगा?

नई दिल्ली: एक समय था जब अमेरिका को वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का निर्विवाद नेता माना जाता था। लेकिन अब, दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है और इस परिवर्तन के केंद्र में है, BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका)। हाल ही में इस गठबंधन में कई नए सदस्य देशों को जोड़ने की प्रक्रिया ने इसे और अधिक ताक़तवर व महत्वाकांक्षी बना दिया है।

BRICS 2.0: विस्तार और उद्देश्य

BRICS अब केवल पाँच देशों का समूह नहीं रहा। मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के शामिल होने से यह समूह वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ बनकर उभरा है। यह न केवल जनसंख्या और भूभाग के लिहाज़ से बड़ा है, बल्कि इसमें ऊर्जा, संसाधन, बाजार और सामरिक स्थिति की भरपूर विविधता भी है।

BRICS का उद्देश्य अब केवल विकासशील देशों के हितों की रक्षा करना नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था खड़ी करना है। जहाँ डॉलर का वर्चस्व सीमित हो, और पश्चिमी संस्थाओं पर निर्भरता घटे। लेकिन क्या ब्रिक्स ऐसा करने में सफल होगा, ये सबसे बड़ा सवाल हैं?

डॉलर को टक्कर: मुद्रा और व्यापार में क्रांति

BRICS अब डॉलर के विकल्प के रूप में स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा दे रहा है। रूस और चीन पहले से ही कई द्विपक्षीय समझौतों में डॉलर की जगह रूबल और युआन का प्रयोग कर रहे हैं। भविष्य में एक साझा BRICS करेंसी की अटकलें भी लगाई जा रही हैं, जो अमेरिकी वित्तीय व्यवस्था को सीधी चुनौती दे सकती है।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हालाँकि BRICS की रणनीति महत्वाकांक्षी है, लेकिन इसमें अंदरूनी मतभेद भी बड़ी चुनौती हैं। भारत-चीन तनाव, रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंध, और ब्राज़ील व दक्षिण अफ्रीका की राजनीतिक अस्थिरता।  इस समूह की एकजुटता पर समय-समय पर सवाल खड़े करते हैं।

इसके अलावा, अमेरिका और यूरोपीय देशों के पास अब भी तकनीकी बढ़त, सैन्य गठबंधन (जैसे NATO), और वैश्विक मीडिया व संस्थाओं पर प्रभाव है जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। साथ ही अमेरिकी डॉलर का पूरी दुनिया पर दबदबा। 

दुनिया किस ओर झुकेगी?

BRICS का उद्देश्य केवल अमेरिका को हराना नहीं है, बल्कि एक संतुलित, समावेशी और निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था खड़ी करना है। जहाँ अमेरिका के नेतृत्व वाली व्यवस्था ‘नियम आधारित’ होने का दावा करती है, वहीं BRICS ‘संप्रभुता और समानता’ की बात करता है। आज का युग ठोस जवाबों से नहीं, बल्कि बदलते समीकरणों से परिभाषित हो रहा है। और ऐसे में BRICS का यह ‘बिग प्लान’ दुनिया को एक नए मोड़ पर ला खड़ा कर सकता है।

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