अभियान के पीछे की वजह
उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ती जा रही है, जिनमें दोपहिया वाहन चालकों की मौत या गंभीर चोटें शामिल हैं। अधिकांश दुर्घटनाएं हेलमेट न पहनने के कारण घातक साबित होती हैं। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 129 के तहत हेलमेट पहनना अनिवार्य है, जबकि धारा 194 D उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान करती है। लेकिन बावजूद इसके, हेलमेट न पहनने वाले चालक और सवारों की संख्या अभी भी उच्च है।
अभियान की रूपरेखा और क्रियान्वयन
परिवहन विभाग के निर्देशों के अनुसार, यह अभियान सभी जिलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में जिला सड़क सुरक्षा समिति (DRSC) के समन्वय से चलाया जाएगा। इस दौरान पुलिस, राजस्व और परिवहन विभाग के अधिकारी मिलकर सख्त जांच और प्रवर्तन करेंगे। अभियान का मकसद सिर्फ जुर्माना लगाना नहीं, बल्कि जनता को सुरक्षा के प्रति जागरूक करना और उन्हें हेलमेट पहनने की आदत डालना है।
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बृजेश नारायण सिंह ने स्पष्ट किया है कि ‘No Helmet, No Fuel’ का लक्ष्य दोपहिया चालकों को सुरक्षित व्यवहार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आए। उन्होंने पेट्रोल पंप संचालकों और तेल विपणन कंपनियों से भी इस अभियान में सहयोग करने का आग्रह किया है ताकि बिना हेलमेट वाले वाहन चालकों को ईंधन न दिया जाए।
जनता का सहयोग आवश्यक
अधिकारियों का मानना है कि यह अभियान जनता के हित में है और इससे व्यापार को कोई नुकसान नहीं होगा। पिछले अनुभवों से पता चला है कि जब दोपहिया चालक हेलमेट पहनने के लिए बाध्य होते हैं, तो वे जल्दी ही इस नियम का पालन करने लगते हैं। साथ ही, पेट्रोल पंपों पर ईंधन की बिक्री पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
खाद्य एवं रसद विभाग की निगरानी में अभियान को प्रभावी बनाने के लिए पेट्रोल पंप स्तर पर समन्वय सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, सूचना एवं जनसंपर्क तंत्र के माध्यम से आम जनता में जागरूकता फैलाई जाएगी ताकि लोग हेलमेट पहनने के प्रति सजग और प्रतिबद्ध बन सकें।
0 comments:
Post a Comment