सिर्फ 6 देश बना सकते हैं रॉकेट इंजन, भारत अब इनमें एक!

नई दिल्ली। अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रॉकेट इंजन बनाना एक अत्यधिक चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण कार्य है। रॉकेट इंजन वह मुख्य शक्ति है जो रॉकेट को अंतरिक्ष में उड़ाने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। दुनिया में केवल 6 देश हैं, जो इस उच्च-तकनीकी क्षमता को हासिल करने में सक्षम हैं। इनमें भारत भी  शामिल हैं।

1. संयुक्त राज्य अमेरिका

संयुक्त राज्य अमेरिका का नाम रॉकेट इंजन निर्माण में सबसे पहले आता है। नासा (NASA) और अन्य निजी कंपनियां जैसे स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन ने विश्व में सबसे शक्तिशाली और उन्नत रॉकेट इंजन विकसित किए हैं। अमेरिका के रॉकेट इंजन तकनीक में आरएस-25 (RS-25) इंजन सबसे प्रसिद्ध है, जिसे स्पेस शटल कार्यक्रम में इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा, फाल्कन 9 और फाल्कन हेवी रॉकेट इंजन भी स्पेसएक्स द्वारा विकसित किए गए हैं।

2. रूस

रूस का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी बहुत पुराना और प्रतिष्ठित है, और रूस ने लंबे समय से रॉकेट इंजन निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई है। रूस का RD-180 इंजन एक प्रमुख उदाहरण है, जिसे अर्बिटल एटीके द्वारा अमेरिकी रॉकेट कार्यक्रमों में इस्तेमाल किया गया था। सोवियत संघ के दिनों से लेकर आज तक, रूस ने कई रॉकेट इंजन विकसित किए हैं जिनकी विश्व भर में मांग रही है।

3. चीन

चीन ने हाल के दशकों में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारी निवेश किया है और अब वह रॉकेट इंजन निर्माण के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन चुका है। चीन का YF-77 इंजन, जिसे लांग मार्च 3बी रॉकेट में उपयोग किया गया, दुनिया के सबसे प्रभावी रॉकेट इंजन में से एक है। इसके अलावा, YF-100 और YF-115 जैसे इंजन भी चीन के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं।

4. जापान

जापान भी रॉकेट इंजन बनाने वाले देशों की सूची में शामिल है, हालांकि वह इसके निर्माण में अन्य प्रमुख देशों से कुछ पीछे है। जापान का LE-7 इंजन जो ह-II रॉकेट में इस्तेमाल होता है, एक बेहतरीन उदाहरण है। जापान का अंतरिक्ष संगठन जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) अपनी तकनीकी श्रेष्ठता के लिए प्रसिद्ध है और उसने रॉकेट इंजन में कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।

5. फ्रांस

फ्रांस का अंतरिक्ष कार्यक्रम बहुत पुराना है और यह रॉकेट इंजन निर्माण में एक प्रमुख देश है। फ्रांस ने Ariane 5 रॉकेट के लिए Vulcain इंजन विकसित किया है, जो यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा संचालित किया जाता है। Vulcain 2 इंजन की क्षमता उच्च है और यह कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण रहा है।

6. भारत

अब भारत ने भी अपनी तकनीकी क्षमता को साबित कर दिया है और रॉकेट इंजन निर्माण करने वाले देशों में शामिल हो गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एलवीएम-3 (LVM-3) जैसे रॉकेट इंजन विकसित किए हैं, जो चंद्रयान-2 और मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में इस्तेमाल हुए। ISRO ने स्वदेशी रॉकेट इंजन तकनीक को विकसित करने के लिए कई वर्षों तक मेहनत की है और अब भारत अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम बढ़ा चुका है।

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