आयोग ने माना - प्रमाणपत्र बनाने में हो रही दिक्कत
शुक्रवार को आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में इंदिरा भवन स्थित कार्यालय में एक अहम बैठक हुई। इसमें कार्मिक विभाग के विशेष सचिव भी मौजूद रहे। बैठक में विशेष तौर पर जाति प्रमाणपत्र की वैधता, प्रक्रिया और समयसीमा जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
राज्यभर से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि ओबीसी वर्ग के लोगों को जाति प्रमाणपत्र बनवाने में कई स्तरों पर अड़चनें झेलनी पड़ रही हैं जैसे दस्तावेज़ों की बार-बार मांग, अधिकारियों की लापरवाही और प्रमाणपत्रों के समय पर निर्गमन में देरी। इन सब को देखते हुए आयोग अब स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ा रहा है।
नई प्रक्रिया से क्या बदलेगा?
यदि आयोग की रिपोर्ट के आधार पर नई प्रक्रिया लागू होती है तो: जाति प्रमाणपत्र के लिए समयबद्ध और पारदर्शी प्रणाली विकसित हो सकती है। प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया को डिजिटल और ट्रैकिंग-सक्षम बनाया जा सकता है। बार-बार दस्तावेज मांगने और अफसरशाही से राहत मिल सकती है। स्वघोषणा (Self Declaration) आधारित मॉडल पर भी विचार संभव है, जैसा अन्य राज्यों में अपनाया गया है।
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