बिहार में 'जमीन मालिकों' को बड़ी राहत, पढ़ें पूरी खबर!

पटना। बिहार के ज़मीन मालिकों (रैयतों) के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। राज्य सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने साफ निर्देश जारी किए हैं कि राजस्व महा अभियान के तहत आयोजित पंचायत स्तरीय शिविरों में कोई भी आवेदन अब अस्वीकार नहीं किया जाएगा। यह कदम खासकर उन जमीन मालिकों के लिए सुकून लेकर आया है जो वर्षों से नामांतरण, जमाबंदी सुधार या ऑनलाइन एंट्री जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे।

क्या है नया निर्देश?

राज्य के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी अंचल अधिकारियों को निर्देशित किया है कि शिविरों में आने वाले हर रैयत का आवेदन बिना किसी अवरोध के स्वीकार किया जाए। अब तक कई मामलों में शिविरकर्मियों द्वारा यह कहकर आवेदन लेने से मना कर दिया जाता था कि: जमीन की जमाबंदी क्षतिग्रस्त है, गैर-मजरूआ या बकास्त भूमि की श्रेणी में आती है, पुनर्गठन का आदेश नहीं मिला है आदि। अब इन कारणों से आवेदन अस्वीकार करना प्रतिबंधित कर दिया गया है।

क्या होगा प्रक्रिया में बदलाव?

अब आवेदन प्राथमिक स्तर पर बिना छानबीन के स्वीकार किए जाएंगे। यदि किसी आवेदन में दस्तावेज अधूरे हैं या किसी मामले में राजस्व न्यायालय की प्रक्रिया जरूरी है, तो वो बाद में  निष्पादन की प्रक्रिया के दौरान पूरी की जाएगी। इससे रैयतों को दोबारा चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और उनका आवेदन सिस्टम में दर्ज हो जाएगा।

क्यों जरूरी था यह बदलाव?

बीते महीनों में लगातार यह शिकायतें सामने आ रही थीं कि शिविरों में आम लोगों की समस्याएं सुनी ही नहीं जातीं।नियमों के नाम पर आवेदन लेने से इनकार, लोगों के बीच असंतोष और भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा था। सरकार का यह कदम प्रशासनिक प्रक्रिया को लोगों के अनुकूल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

अधिकारियों को निर्देश

सरकार ने निर्देश देते हुए कहा है की अंचलाधिकारी सुनिश्चित करें कि हर आवेदन लिया जाए, चाहे परिस्थिति कुछ भी हो, शिविरों में कोई भेदभाव या प्राथमिक छानबीन नहीं होनी चाहिए, प्रक्रिया का सख्ती से पालन हो, ताकि लोगों में भरोसा बना रहे। 

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