बिहार में करें इन 4 मछलियों का पालन, कुछ ही महीनों में बनेंगे लखपति!

पटना। बिहार में आज किसान परंपरागत खेती से हटकर वैकल्पिक कृषि मॉडल की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। इन्हीं विकल्पों में से एक है मछली पालन, जो कम लागत, कम समय और कम ज़मीन में ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय बनकर उभरा है। राज्य सरकार भी ‘नीली क्रांति’ के तहत मछली पालन को बढ़ावा दे रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार यदि किसान सही तकनीक और उचित प्रजातियों का चुनाव करें, तो 6 से 8 महीनों में ही लाखों की कमाई कर सकते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं उन चार मछलियों के बारे में जिनका पालन बिहार के जलवायु और संसाधनों के अनुसार सबसे लाभकारी माना जाता है।

1. रोहू : रोहू मछली बिहार में सबसे अधिक खपत की जाने वाली प्रजातियों में से एक है। यह तेजी से बढ़ती है और बाज़ार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। 6 से 8 महीनों में यह 1-1.5 किलो तक की हो जाती है, जिससे अच्छे दाम मिलते हैं।

2. कटला: कटला का आकार बड़ा होता है और यह देखने में आकर्षक होती है, जिससे यह बाज़ार में अधिक कीमत पर बिकती है। इसकी ग्रोथ रेट तेज होती है और इसे रोहू के साथ पालना फायदेमंद माना जाता है।

3. मृगेल: मृगेल भी एक लोकप्रिय मछली है, जो तालाबों में अन्य मछलियों के साथ अच्छे से बढ़ती है। इसकी ग्रोथ मीडियम रेंज की होती है, लेकिन यह उगाने में कम खर्चीली होती है।

4. तिलापिया: तिलापिया मछली विदेशी मूल की है, लेकिन बिहार में इसकी मांग और उत्पादन दोनों ही बढ़ रहे हैं। यह मछली बेहद तेजी से बढ़ती है और सीमित जलस्रोतों में भी अच्छा उत्पादन देती है।

कम लागत, ज्यादा मुनाफा

विशेषज्ञों के अनुसार यदि 1 एकड़ तालाब में मिक्स मछली पालन किया जाए, तो 6-8 महीनों में ₹3 से ₹5 लाख तक की आमदनी संभव है। फीडिंग, ऑक्सीजन लेवल, पानी की सफाई और मछलियों की नियमित निगरानी से उत्पादन और मुनाफा दोनों बढ़ाया जा सकता है।

सरकारी सहायता भी उपलब्ध

राज्य सरकार और मत्स्य विभाग मछली पालकों को प्रशिक्षण, सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे हैं। बिहार मछली उत्पादन में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल हो चुका है।

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