इस हाईटेक स्टेथोस्कोप को AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस किया गया है, जो पुराने स्टेथोस्कोप के मुकाबले कहीं अधिक सटीक और तेज़ है। यह डिवाइस न केवल दिल की धड़कनों को सुनता है, बल्कि ECG डेटा और रक्त प्रवाह की बारीक आवाजों को भी रिकॉर्ड करता है।
कैसे काम करता है यह AI स्टेथोस्कोप?
इंपीरियल कॉलेज लंदन और इंपीरियल कॉलेज NHS ट्रस्ट के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह डिवाइस आकार में ताश के पत्ते जितना छोटा है। इसे मरीज के सीने पर रखा जाता है, जहाँ यह दिल के इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को रिकॉर्ड करता है और माइक्रोफोन की मदद से रक्त प्रवाह की आवाजों को भी पकड़ता है। यह सभी डेटा क्लाउड पर भेजा जाता है, जहाँ AI एल्गोरिदम उसकी गहनता से जांच करता है और महज कुछ ही सेकंड में स्मार्टफोन पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेज देता है।
इस तकनीक को अमेरिकी कंपनी Eko Health द्वारा बनाया गया है और इसका परीक्षण ब्रिटेन में 12,000 से अधिक मरीजों पर किया गया। खास बात यह रही कि इस डिवाइस ने पारंपरिक स्टेथोस्कोप की तुलना में दोगुने मामलों में हार्ट फेल्योर की पहचान की और तीन गुना अधिक एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसी अनियमित धड़कनों को पकड़ा।
हार्ट केयर में एक नई क्रांति
इस डिवाइस की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह उन सूक्ष्म बदलावों को भी पकड़ सकता है, जिन्हें इंसानी कान नहीं सुन सकते। यही नहीं, यह ECG भी तेज़ी से कर सकता है, जिससे डॉक्टरों को तुरंत इलाज शुरू करने का अवसर मिलता है।
इंपीरियल कॉलेज के डॉ. पैट्रिक बाचटिगर के अनुसार, “यह एक चमत्कारी डिवाइस है। आज भी बहुत से मरीजों को तब जाकर हार्ट फेल्योर का पता चलता है, जब हालत बेहद गंभीर हो चुकी होती है। यह तकनीक उस स्थिति को बदल सकती है।”
सामान्य डॉक्टर भी बन सकेंगे कार्डियक सुपरस्पेशलिस्ट
AI स्टेथोस्कोप के आने से दिल की बीमारियों की प्रारंभिक जांच अब सिर्फ विशेषज्ञों तक सीमित नहीं रहेगी। सामान्य प्रैक्टिशनर डॉक्टर भी इस उपकरण की मदद से जल्दी और सटीक जांच कर पाएंगे। इससे इलाज में देरी नहीं होगी और हजारों जिंदगियों को समय रहते बचाया जा सकेगा।
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