तेजस Mk1A: स्वदेशी उत्पादन का गर्व
तेजस Mk1A का निर्माण और उत्पादन पूरी तरह से भारत में हो रहा है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) मिलकर विकसित कर रहे हैं। HAL के अध्यक्ष डी.के. सुनील के अनुसार, इस मॉडल के उत्पादन में अब निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है। यह कदम उत्पादन को तेजी से बढ़ाने में सहायक होगा, जिससे हर साल 24 से 30 फाइटर जेट बनाने की क्षमता विकसित हो सकेगी।
तकनीकी उन्नयन: क्यों खास है तेजस Mk1A?
तेजस Mk1A में कई तकनीकी सुधार किए गए हैं, जो इसे Mk1 से बेहतर बनाते हैं। इसकी रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) कम की गई है, जिससे इसे पकड़ना दुश्मन के लिए मुश्किल होगा। इसमें आधुनिक एवियोनिक्स और अत्याधुनिक हथियार प्रणाली शामिल हैं, जो इसे विभिन्न सामरिक मिशनों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। Mk1A की यह उन्नत क्षमताएँ भारतीय वायु सेना के मिराज-2000 और Su-30MKI जैसे विमान से मुकाबला करने में मददगार होंगी।
उत्पादन में नई रणनीति: निजी क्षेत्र की भागीदारी
निजी कंपनियों को एयरफ्रेम और एयरोस्ट्रक्चर के निर्माण में शामिल करना एक रणनीतिक फैसला है, जो उत्पादन क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। इस ‘अदृश्य चौथी उत्पादन लाइन’ के माध्यम से HAL अंतिम असेंबली और सिस्टम इंटीग्रेशन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेगा। भविष्य में तेजस Mk2 के निर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी और भी बढ़ेगी, जिससे पूरी विमान इकाई की आपूर्ति भी स्वदेशी बन सकेगी।
पाकिस्तान के लिए नई चुनौती
तेजस Mk1A की ताकत और उत्पादन में तेजी पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए बड़ा खतरा है। यह विमान न केवल भारत की हवाई सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि सीमांत इलाकों में नियंत्रण बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसकी तकनीकी श्रेष्ठता और उच्च उत्पादन क्षमता भारत की सामरिक तैयारियों को मजबूती देती है, जिससे कोई भी संभावित खतरा पहले से अधिक प्रभावी तरीके से निपटाया जा सकेगा।
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