रुद्रम-II और रुद्रम-III: भारत की ताकत से दुनिया हैरान

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (IAF) ने हाल ही में अपनी रणनीतिक क्षमताओं को और धार देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब फोकस हवा से सतह पर मार करने वाली अत्याधुनिक विकिरण-रोधी मिसाइल प्रणालियों रुद्रम-II और रुद्रम-III के विकास और तेज़ी से एकीकरण पर है। इन मिसाइलों के ज़रिए भारत न केवल अपनी वायु शक्ति को और मजबूत कर रहा है, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसे संभावित विरोधियों के खिलाफ एक प्रभावी रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित कर रहा है।

रुद्रम श्रृंखला: भारत की स्वदेशी SEAD शक्ति

रुद्रम श्रृंखला, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारतीय वायुसेना को इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और दुश्मन के एयर डिफेंस नेटवर्क को नष्ट करने में पूर्ण सक्षम बनाना है। रुद्रम-I पहले ही परीक्षणों में सफल रही है और सीमित रूप से IAF में शामिल की जा चुकी है। यह दुश्मन के रडार और संचार प्रणालियों को निशाना बनाकर उनकी वायु रक्षा को अक्षम करने में सक्षम है। अब इसके और उन्नत संस्करण रुद्रम-II और रुद्रम-III भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को पूरी तरह से नया स्तर देने के लिए तैयार हैं।

रुद्रम-II: बहु-भूमिका में सक्षम, उच्च गति मिसाइल

रुद्रम-II को लगभग 300 से 350 किलोमीटर की मारक दूरी और दोहरे मार्गदर्शन प्रणाली से लैस किया गया है। इसका मतलब है कि यह न केवल सक्रिय रडार उत्सर्जन वाले लक्ष्यों को भेद सकती है, बल्कि कम-उत्सर्जन या चलते हुए लक्ष्यों को भी सटीकता से निशाना बना सकती है।

इसकी गति इसे दुश्मन की प्रतिक्रिया समय को सीमित करती है, जिससे यह SEAD (Suppression of Enemy Air Defenses) अभियानों में बेहद प्रभावी साबित होती है। Su-30MKI पर इसके परीक्षण पहले ही शुरू हो चुके हैं और इसके बेहतर एकीकरण की दिशा में IAF तेजी से काम कर रही है।

रुद्रम-III: भविष्य की लंबी दूरी की क्रांतिकारी मिसाइल

रुद्रम-III, रुद्रम-II का परिष्कृत संस्करण है, जो 500 से 550 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है। यह उच्च मूल्य वाले लक्ष्यों जैसे कि दुश्मन के एयरबेस, कमांड सेंटर और मिसाइल लांचरों को बेअसर करने के लिए डिज़ाइन की गई है।

इसमें INS/GPS आधारित नेविगेशन और ड्यूल-बैंड सीकर तकनीक को शामिल किया गया है, जिससे यह उच्च स्तर की सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम है। इसके साथ ही, रैमजेट तकनीक से लैस यह मिसाइल हाइपरसोनिक गति तक पहुँच सकती है, जिससे दुश्मन की प्रतिक्रिया की संभावना लगभग नगण्य हो जाती है।

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