जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
भगवान श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म के सबसे प्रिय देवताओं में से एक हैं, जिन्हें प्रेम, न्याय और धर्म के पालनहार के रूप में जाना जाता है। जन्माष्टमी का पर्व उनके जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जब समस्त संसार में अंधकार छंट जाता है और सत्य का प्रकाश फैलता है।
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त
इस बार जन्माष्टमी के दिन कई शुभ योग और ग्रह-नक्षत्रों का मेल बना है, जो इस पर्व को अत्यंत फलदायी बनाते हैं। प्रमुख योगों में अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल हैं, जो हर कार्य में सफलता और समृद्धि के संकेत माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त वृद्धि योग, ध्रुव योग, श्रीवत्स योग, गजलक्ष्मी योग, ध्वांक्ष योग और बुधादित्य योग भी इस दिन की शुभता को दोगुना कर देते हैं।
तिथि एवं नक्षत्र विवरण:
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025, रात 09:34 बजे तक
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 17 अगस्त 2025, सुबह 04:38 बजे से
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 18 अगस्त 2025, सुबह 03:17 बजे तक
चंद्रोदय समय: 16 अगस्त को रात 10:46 बजे
पूजा-अर्चना के लिए श्रेष्ठ समय
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:24 से 05:07 बजे तक
चर मुहूर्त: सुबह 05:50 से 07:29 बजे तक
लाभ मुहूर्त: सुबह 07:29 से 09:08 बजे तक
अमृत मुहूर्त: सुबह 09:08 से 10:47 बजे तक
शाम का मुहूर्त: शाम 5:22 से 7:00 बजे तक
स्थिर लग्न मुहूर्त: रात 10:31 से 11:54 बजे तक
इन शुभ कालों में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। विशेषकर स्थिर लग्न में पूजा से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
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