क्या होती है SLBM?
SLBM (Submarine-Launched Ballistic Missile) वे मिसाइलें होती हैं जिन्हें पनडुब्बियों से समुद्र के भीतर से दागा जाता है। इनकी सबसे बड़ी विशेषता होती है अदृश्यता और आकस्मिक प्रतिशोध। किसी भी संभावित परमाणु हमले की स्थिति में SLBM से लैस पनडुब्बियां दुश्मन पर जवाबी हमला करने में सक्षम होती हैं और इसी वजह से ये आधुनिक परमाणु नीति का महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुकी हैं।
ये हैं वे 6 देश जो रखते हैं SLBM क्षमता:
1 .संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): ट्राइडेंट II (D5) मिसाइलों से लैस ओहायो क्लास पनडुब्बियों के जरिए अमेरिका लंबे समय से इस क्षेत्र में अग्रणी है। इसकी रेंज 1200 किमी हैं।
2 .रूस: रूस की बोरेई क्लास पनडुब्बियां आर-30 बुलावा SLBM से सुसज्जित हैं। रूस अपने समुद्री परमाणु डिटेरेंस पर विशेष जोर देता है। इसकी रेंज 10000 किमी हैं।
3 .चीन: जीन क्लास (Type 094) पनडुब्बियों के जरिए चीन JL-2 मिसाइलें तैनात करता है। हाल ही में वह JL-3 जैसे उन्नत संस्करण पर भी काम कर रहा है। इसकी रेंज 9000 किमी से ज्यादा हैं।
4 .फ्रांस: ट्रायमफांट क्लास पनडुब्बियों के साथ फ्रांस की M51 SLBM विश्वस्तरीय रेंज और क्षमता रखती है। इसकी रेंज 10000 किमी हैं।
5 .यूनाइटेड किंगडम (UK): ब्रिटेन, अमेरिका से ली गई ट्राइडेंट II मिसाइलों का प्रयोग वेंगार्ड क्लास पनडुब्बियों के माध्यम से करता है। इसकी रेंज 12000 किमी हैं।
6 .भारत: भारत इस क्लब का नया सदस्य है। INS अरिहंत और INS अरिघाट जैसी परमाणु पनडुब्बियों से K-15 और K-4 SLBM का परीक्षण किया गया है। यह भारत की ‘परमाणु त्रिक’ नीति को मजबूत करता है।K-4 SLBM की रेंज 3600 किमी हैं।
भारत की स्थिति और भविष्य
भारत का SLBM कार्यक्रम अभी विकास के दौर में है, लेकिन इसकी प्रगति उल्लेखनीय है। DRDO द्वारा विकसित K-15 (750 किमी) और K-4 (3500 किमी) मिसाइलें INS अरिहंत क्लास पनडुब्बियों से सफलतापूर्वक दागी जा चुकी हैं। आने वाले वर्षों में K-5 और K-6 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों के शामिल होने से भारत की समुद्री परमाणु ताकत और भी अधिक मजबूत हो जाएगी। इसकी रेंज 8000 किमी से अधिक हो सकती हैं।
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