तेज़ी से बढ़ती मिसाइल क्षमताएं
अग्नि-V: 5500 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली यह अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अब पूरी चीन की ज़मीन को कवर कर सकती है। यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति के तहत अहम भूमिका निभाती है।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल: भारत-रूस संयुक्त परियोजना की यह मिसाइल दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक है। अब इसकी रेंज 450 किमी से बढ़ाकर 800 किमी तक कर दी गई है। इसका हाइपरसोनिक संस्करण भी विकासाधीन है।
पृथ्वी और आकाश सीरीज: कम दूरी की ये मिसाइलें भारत की सामरिक जरूरतों को बखूबी पूरा करती हैं, खासकर सीमावर्ती इलाकों में।
शौर्य और निर्भय मिसाइलें: सबसोनिक और हाइपरसोनिक क्षमताओं के साथ ये मिसाइलें भी भारत के शस्त्रागार को और खतरनाक बनाती हैं।
चीन की बढ़ती चिंता
भारत की मिसाइल शक्ति में लगातार हो रहे इजाफे से चीन की चिंताएं स्वाभाविक हैं। लद्दाख और अरुणाचल जैसे विवादित क्षेत्रों में सैन्य तनाव के बीच, भारत की मिसाइलों की पहुंच और सटीकता चीन को रणनीतिक रूप से बैकफुट पर ले आती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन भारत की अग्नि-V और ब्रह्मोस क्षमताओं से सबसे अधिक परेशान है क्योंकि ये मिसाइलें चीन के प्रमुख शहरों और सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकती हैं।
इसके अलावा भारत की अंतरिक्ष रक्षा प्रणाली (ASAT-एंटी सैटेलाइट वेपन) और मिसाइल डिफेंस शील्ड भी चीन को असहज करती है। भारत अब मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का सदस्य है, जिससे उसे अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक की वैश्विक पहुंच भी मिल गई है।
भविष्य की तैयारी: हाइपरसोनिक और एयर डिफेंस सिस्टम
भारत अब हाइपरसोनिक मिसाइलें और आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम पर भी तेज़ी से काम कर रहा है। DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) द्वारा विकसित हो रही नई तकनीकें भारत को भविष्य में मिसाइल शक्ति के मामले में आत्मनिर्भर और अजेय बना सकती हैं।
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