रॉकेट फोर्स की घोषणा: कब और क्यों?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर इस नई रॉकेट फोर्स के गठन का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि यह बल आधुनिक तकनीकों से लैस होगा और हर दिशा से दुश्मन पर आक्रमण करने में सक्षम होगा। भाषण में उन्होंने स्पष्ट रूप से भारत का नाम लिया और कहा कि यह कदम पाकिस्तान की सैन्य प्रतिक्रिया क्षमता को उन्नत बनाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान को झटका
भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की सामरिक क्षमताओं को गंभीर रूप से झकझोरा। यह ऑपरेशन, जिसमें भारत ने सटीक और तकनीकी रूप से उन्नत मिसाइलों का प्रयोग कर सामरिक बढ़त बनाई, पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी साबित हुआ। इसकी प्रतिक्रिया में अब पाकिस्तान अपनी सैन्य संरचना और रणनीति को पुनर्गठित करने में जुटा है।
चीन से प्रेरणा: PLA रॉकेट फोर्स की नकल
पाकिस्तान की नई आर्मी रॉकेट फोर्स, चीन की People’s Liberation Army Rocket Force (PLARF) के मॉडल पर आधारित होगी। यह फोर्स पारंपरिक और परमाणु हथियारों से लैस होती है और इसमें बैलिस्टिक, क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलों का संचालन होता है।
हालांकि पाकिस्तान की नई फोर्स केवल पारंपरिक मिसाइलों और रॉकेट तक सीमित होगी और इसमें परमाणु हथियार शामिल नहीं होंगे। यह मौजूदा Army Strategic Forces Command (ASFC) के समानांतर काम करेगी, लेकिन दोनों की भूमिका अलग-अलग होगी।
भारत की मिसाइल ताकत से मुकाबला:
भारत की मिसाइल ताकत में हाल के वर्षों में भारी प्रगति हुई है। अग्नि सीरीज, पृथ्वी मिसाइलें, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसी क्षमताएं भारत को एक शक्तिशाली सैन्य शक्ति बनाती हैं। इसके अलावा DRDO की हाइपरसोनिक मिसाइल विकास परियोजनाएं भी प्रगति पर हैं।
पाकिस्तान की यह नई पहल इस सैन्य ताकत के सामने संतुलन बनाने का प्रयास है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार भारत जैसी तकनीकी और उत्पादन क्षमता हासिल करना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा। भारत सैन्य ताकत में पाकिस्तान से बहुत आगे हैं।
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