पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक मान्यता
आदिवासी समुदायों और पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में पत्थरचट्टा की पत्तियों का उपयोग वर्षों से पथरी के इलाज में किया जा रहा है। National Institutes of Health (NIH) के अनुसार भी, इस पौधे में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो गुर्दे की पथरी को तोड़कर उसे शरीर से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं।
पत्थरचट्टा के प्रमुख फायदे:
पथरी को तोड़ने में सहायक: इस पौधे की हरी और मांसल पत्तियों में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर पेशाब के रास्ते बाहर निकालने में मदद करते हैं।
पथरी बनने से रोकता है: पत्थरचट्टा न केवल बनी हुई पथरी को हटाता है, बल्कि इसके नियमित सेवन से भविष्य में पथरी बनने की संभावना भी कम हो जाती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है: इस पौधे में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी तत्व इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक होते हैं, जिससे शरीर अन्य बीमारियों से भी लड़ने में सक्षम होता है।
कैसे करें सेवन?
पत्थरचट्टा की 1–2 ताज़ी पत्तियों को सुबह खाली पेट चबाया जा सकता है, या इसका रस निकालकर थोड़ा शहद मिलाकर भी लिया जा सकता है। हालांकि, किसी भी हर्बल उपचार को शुरू करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेना आवश्यक है।
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