यूपी में 'जमीन रजिस्ट्री' को लेकर बड़ी खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जमीन रजिस्ट्री और संपत्ति नामांतरण (दाखिल खारिज) प्रक्रिया को लेकर हाल ही में जो घोषणाएं की गई हैं, वे राज्य के लाखों नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आई हैं। स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल द्वारा विधान सभा में दी गई जानकारी के अनुसार, आने वाले समय में रजिस्ट्री से संबंधित प्रक्रियाएं न केवल सरल होंगी, बल्कि तकनीक आधारित होंगी, जिससे पारदर्शिता और समय की बचत दोनों सुनिश्चित की जा सकेगी।

रजिस्ट्री के तुरंत बाद होगा दाखिल खारिज

अब तक संपत्ति की रजिस्ट्री के बाद नामांतरण (दाखिल खारिज) के लिए लोगों को तहसील के चक्कर काटने पड़ते थे और 30–35 दिन तक इंतजार करना पड़ता था। इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और देरी की काफी शिकायतें आती थीं। लेकिन सरकार अब ऐसी व्यवस्था लागू करने जा रही है जिसमें रजिस्ट्री के तुरंत बाद ही खतौनी में नाम स्वत: चढ़ जाएगा। यानी रजिस्ट्री और दाखिल खारिज एक ही छत के नीचे, एक ही प्रक्रिया में पूर्ण होंगे।

रजिस्ट्री से जुड़े विवाद होंगे कम

राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि न्यायालयों में चल रहे अधिकांश मुकदमे संपत्ति विवादों को लेकर हैं, खासकर पारिवारिक विवाद। इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार एक ऐसी योजना लाने जा रही है, जिससे चार पीढ़ियों के बीच आपसी सहमति से संपत्ति का बंटवारा सिर्फ पांच मिनट में किया जा सकेगा। इस प्रक्रिया के लिए केवल पांच हजार रुपये के स्टांप की आवश्यकता होगी, जो पारंपरिक कानूनी प्रक्रिया की तुलना में बेहद किफायती और त्वरित होगी।

रजिस्ट्री होगी पूरी तरह ऑनलाइन

भविष्य में लोग घर बैठे ही ऑनलाइन माध्यम से रजिस्ट्री करा सकेंगे। इससे न केवल प्रक्रिया पारदर्शी होगी, बल्कि दलालों और बिचौलियों के प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा। यह सुविधा विशेष रूप से उन नागरिकों के लिए लाभकारी होगी जो बाहर रहते हैं या जिनके पास समय की कमी होती है।

किरायेदारी विवादों को मिलेगा हल

राज्य सरकार किरायेदारी कानूनों में भी बदलाव कर रही है। रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन को अब 1000, 2000 या 3000 रुपये में कराया जा सकेगा। यह कदम छोटे किरायेदारों और मकान मालिकों को कानूनी सुरक्षा देने में मदद करेगा और भविष्य में होने वाले विवादों को रोकेगा।

जमीन की धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम

सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि अब गांवों के घरौनी दस्तावेजों को बारकोड से जोड़ा जाएगा। यह बारकोड यह जानकारी देगा कि संबंधित संपत्ति कब खरीदी-बेची गई, वर्तमान मालिक कौन है, और वह व्यक्ति मालिक है भी या नहीं। इससे फर्जी रजिस्ट्री और एक ही संपत्ति की बार-बार बिक्री जैसे मामलों पर अंकुश लगेगा।

आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे रजिस्ट्री कार्यालय

जैसे पासपोर्ट कार्यालयों में सुविधाएं आधुनिक और उपभोक्ता अनुकूल होती हैं, उसी तर्ज पर रजिस्ट्री कार्यालयों को भी डिजिटल और सुविधा संपन्न बनाया जाएगा। स्टांप पेपर की उपलब्धता एटीएम की तरह आसान होगी, और स्टांप ड्यूटी भुगतान के लिए कई डिजिटल माध्यम उपलब्ध कराए जाएंगे।

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