बारकोड से क्या होगा?
बारकोड के माध्यम से संपत्ति के इतिहास को डिजिटल रूप में सुरक्षित किया जाएगा। इसमें यह जानकारी दर्ज होगी कि संपत्ति कब, किसने और किसको बेची गई थी। इसका मतलब यह होगा कि किसी भी संपत्ति के मालिकाना हक की पारदर्शिता बढ़ेगी और कोई भी व्यक्ति आसानी से संपत्ति के लेन-देन का सत्यापन कर सकेगा। इससे नकली दस्तावेज बनाने या गलत तरीके से संपत्ति हड़पने की कोशिशें कम होंगी।
पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की ओर कदम
संपत्ति लेन-देन के मामले में अक्सर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आती रही हैं। ऐसे मामलों में आम नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बारकोड आधारित रजिस्ट्री प्रणाली इस समस्या का समाधान बन सकती है। इससे न केवल संपत्ति के मालिकाना हक की जांच आसान होगी, बल्कि भ्रष्टाचार के मामले भी कम होंगे।
मंत्री रवींद्र जायसवाल ने साफ कहा कि धर्म, जाति और पार्टी से ऊपर देश है। इस तकनीकी पहल के जरिए सरकार ने यह संदेश दिया है कि वह आम जनता के अधिकारों की सुरक्षा और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
डिजिटल इंडिया और उत्तर प्रदेश की नई पहल
यह कदम डिजिटल इंडिया के विजन को साकार करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। बारकोड आधारित रजिस्ट्री से संबंधित सभी डेटा ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, जिससे सरकार की सेवाएं और भी अधिक सुगम और पारदर्शी बनेंगी। इससे नागरिकों को संपत्ति से जुड़े मामलों में तेजी और सुविधा मिलेगी।
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