बिहार में सरकारी 'अमीनों' के लिए नए आदेश

पटना। बिहार सरकार ने भूमि प्रबंधन और राजस्व व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में जारी आदेश के तहत राज्य के नियमित अमीनों की वरीयता सूची तैयार करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है। यह कवायद इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे अमीनों की पदोन्नति और सेवा संबंधी निर्णयों में स्पष्टता आएगी।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर सचिव डॉ. महेन्द्र पाल ने इस संबंध में सभी जिलों के समाहर्ताओं और संबंधित निदेशालयों जैसे भू-अभिलेख एवं परिमाप, भू-अर्जन और चकबंदी को पत्र भेजकर तत्काल कार्रवाई करने को कहा है।

क्या है नया बदलाव?

राज्य सरकार ने ‘बिहार अमीन संवर्ग नियमावली, 2025’ लागू की है। इसके तहत अब जिला, भू-अर्जन, चकबंदी और भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालयों में कार्यरत सभी नियमित अमीनों को एकीकृत संवर्ग में शामिल किया जाएगा। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य है एकरूपता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।

अब तक अमीनों की वरीयता, पदोन्नति और सेवा स्थितियों को लेकर विभिन्न स्तरों पर असंगतियां देखी जाती थीं। लेकिन अब न सिर्फ इन विसंगतियों को दूर किया जाएगा, बल्कि अमीनों की योग्यता और सेवा रिकॉर्ड के आधार पर उनका मूल्यांकन भी अधिक व्यवस्थित ढंग से हो सकेगा।

रिपोर्ट न मिलने पर सख्त रुख

गौरतलब है कि विभाग ने 6 अगस्त को ही सभी संबंधित अधिकारियों को विहित प्रपत्र में प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया था। हालांकि, अभी तक सभी जिलों से यह सूचना उपलब्ध नहीं हो पाई है। इस पर गंभीरता दिखाते हुए विभाग ने दोबारा तत्काल रिपोर्ट भेजने की मांग की है और इस कार्य को "सर्वोच्च प्राथमिकता" पर निपटाने को कहा है।

महाअभियान के तहत बड़ी भूमिका

यह कदम राजस्व विभाग द्वारा चलाए जा रहे महाअभियान का हिस्सा है, जिसमें अधिकारी गांव-गांव जाकर न केवल जमाबंदी पर्चे बांट रहे हैं, बल्कि भूमि संबंधी अन्य जरूरी कार्य भी कर रहे हैं। ऐसे में अमीनों की भूमिका अहम बन जाती है, क्योंकि भूमि मापन, सीमांकन और दस्तावेजों के अद्यतन कार्यों में उनकी विशेषज्ञता जरूरी है।

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