सर्किल रेट बढ़ाने की प्रक्रिया में देरी
प्रत्येक तहसील के तहसीलदार और सब रजिस्ट्रार की टीमों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे स्थानीय जमीनों के रेट में बदलाव के प्रस्ताव तैयार करें। इसके बाद इन प्रस्तावों पर जिला स्तरीय कमेटी आपत्तियां मांगेगी और सभी सुझावों को ध्यान में रखकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। लेकिन लगभग एक माह बीतने के बावजूद अभी तक प्रस्ताव नहीं आए हैं, जिससे सर्किल रेट के निर्धारण में देरी हो रही है।
सड़कों की सूची को आधार बनाएगी सरकार
इस बार सरकार ने लोकनिर्माण विभाग, जिला पंचायत और ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग से लगभग पांच हजार सड़कों की सूची मांगी है। ये सड़कें पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजनाओं के कारण जमीन के दामों को प्रभावित कर रही हैं। इस सूची के आधार पर सर्किल रेट तय करने में सड़कें भी शामिल होंगी, जिससे ज़मीन की कीमतों का अधिक यथार्थपरक आकलन किया जा सके।
बड़ी परियोजनाओं के बाद पहली बार संभव है बढ़ोतरी
यह जिला पूर्व में कई बड़े राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सड़क परियोजनाओं का केंद्र रहा है। वर्ष 2015 के बाद पहली बार माना जा रहा है कि इस बार सर्किल रेट में बढ़ोतरी अपेक्षाकृत सही और ठोस आधार पर की जाएगी। पिछली बार मामूली संशोधन के अलावा इस बार अपेक्षाकृत संतुलित बढ़ोतरी की उम्मीद है, क्योंकि इस समय कोई बड़ा सरकारी प्रोजेक्ट प्रस्तावित नहीं है।
इस फैसले से किसानों और विक्रेताओं को होगा लाभ
सर्किल रेट बढ़ने का सीधा असर जमीन बेचने वाले किसानों को मिलेगा। सरकारी दरों में वृद्धि से उन्हें अपनी संपत्ति की सही कीमत मिलने में आसानी होगी। इसके अलावा, खरीदारों को भी बाजार में अधिक पारदर्शिता मिलेगी और खसरा-खतौनी के आधार पर उचित मूल्य तय होगा।
दरअसल, सभी तहसीलों से प्रस्ताव आने के बाद जिला स्तरीय कमेटी इन पर समीक्षा करेगी और यदि कहीं कोई आपत्ति या सुझाव आएगा तो उसे भी सुना जाएगा। इसके बाद अंतिम रूप से नए सर्किल रेट को मंजूरी दी जाएगी और उसे लागू किया जाएगा। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद जमीन की खरीद-फरोख्त और रजिस्ट्री की गतिविधियों में नए रेट लागू होंगे।
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