अब तक की स्थिति
अब तक इन विद्यालयों में मानदेय पर कार्यरत शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था। उन्हें केवल 10 दिनों का आकस्मिक अवकाश ही मिल पाता था। इसके अलावा, यदि कोई शिक्षिका अधिक दिनों तक अनुपस्थित रहती थी, तो उनका मानदेय रोका जा सकता था या उनकी सेवा समाप्त भी की जा सकती थी। इस कारण कई महिला शिक्षिकाएं मातृत्व काल में असुरक्षा और आर्थिक संकट का सामना करती थीं।
नए आदेश का सार
माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अब ऐसी महिला शिक्षिकाएं जो मानदेय पर कार्यरत हैं, उन्हें छह महीने का मातृत्व अवकाश भी मिलेगा और इस दौरान उनका मानदेय भी यथावत जारी रहेगा। अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा द्वारा जारी आदेश में शिक्षा निदेशक, जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस फैसले के मायने
यह कदम केवल शिक्षिकाओं को राहत देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देने की दिशा में भी एक सकारात्मक संकेत है। मातृत्व के दौरान आराम और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना न केवल महिला कर्मचारियों की उत्पादकता को बनाए रखता है, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अनिवार्य है।
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