भारत की 5 सबसे खतरनाक राइफल, जानकार चौंक जाएंगे

नई दिल्ली। भारत की रक्षा ताकत केवल बहादुर सैनिकों में ही नहीं, बल्कि उन अत्याधुनिक हथियारों में भी बसती है, जिनका इस्तेमाल सेना, अर्धसैनिक बल और विशेष इकाइयां करती हैं। देश की सुरक्षा प्रणाली में राइफल्स का अहम योगदान है। बदलते वक्त और चुनौतियों को देखते हुए भारत ने न केवल विदेशी हथियारों को अपनाया, बल्कि कई स्वदेशी राइफल्स को भी विकसित किया है।

1. INSAS राइफल – स्वदेशी हथियार प्रणाली की पहली बड़ी छलांग

भारतीय सेना की लंबे समय तक स्टैंडर्ड सर्विस राइफल रही INSAS को ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने भारत में ही विकसित किया था। हल्के वजन, पारदर्शी मैगजीन और भरोसेमंद परफॉर्मेंस के कारण यह कई दशकों तक सैनिकों की पहली पसंद रही।

रेंज: लगभग 400 मीटर

फायरिंग मोड: सिंगल और बर्स्ट

2. AK-47 – जंग के मैदान में आजमाया हुआ हथियार

AK-47 राइफल को दुनियाभर में इसके मजबूती, कम देखभाल और हर परिस्थिति में काम करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। भारत में यह पैरामिलिट्री बलों और पुलिस की कुछ यूनिट्स द्वारा इस्तेमाल की जाती है। विशेष रूप से यह नक्सल प्रभावित इलाकों में बेहद कारगर साबित हुई है।

रेंज: 300-400 मीटर

मोड: ऑटोमैटिक और सिंगल

3. AK-203 – भविष्य की ताकत, रूस-भारत की साझेदारी का परिणाम

AK-203, रूस और भारत के संयुक्त सहयोग से विकसित की गई एक अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल है। यह INSAS की जगह लेने जा रही है और इसे अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डनेंस फैक्ट्री में बनाया जा रहा है। कम रीकॉइल और उच्च सटीकता इसकी खासियत है।

रेंज: लगभग 500 मीटर

मोड: ऑटो और सिंगल

4. Tavor TAR-21 – स्पेशल फोर्सेस का पसंदीदा हथियार

इजरायल निर्मित यह राइफल अपनी कॉम्पैक्ट डिजाइन और उच्च फायरिंग स्पीड के लिए जानी जाती है। भारत की नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG), मरीन कमांडो (MARCOS) और पैरा स्पेशल फोर्सेज इसका उपयोग करती हैं। शहरी ऑपरेशन और क्लोज-क्वार्टर कॉम्बैट में यह बेहद प्रभावी है।

रेंज: लगभग 500 मीटर

5. Dragunov SVD – दुश्मन को दूर से खत्म करने की क्षमता

यह रूसी स्नाइपर राइफल भारत में लंबे समय से इस्तेमाल हो रही है। इसकी टेलीस्कोपिक दृष्टि और सेमी-ऑटोमैटिक फायरिंग सिस्टम इसे लंबी दूरी के लक्ष्य भेदन में बेहद कारगर बनाते हैं। सेना की स्नाइपर यूनिट्स और विशेष ऑपरेशन बलों द्वारा इसका उपयोग किया जाता है।

रेंज: 800 से 1000 मीटर

उपयोग: ऊंचाई वाले और स्पेशल मिशनों में प्रमुख भूमिका

0 comments:

Post a Comment