मध्यम दूरी की मारक क्षमता
अग्नि प्राइम की मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किलोमीटर के बीच है, जो इसे भारत के क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ एक प्रभावशाली हथियार बनाती है। यह मिसाइल दुश्मन के ठिकानों को दूर से ही सटीकता से नष्ट करने में सक्षम है, और यही कारण है कि यह भारत के सामरिक बल कमान के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बन गई है।
तकनीकी विशेषताएं
यह दो चरणों वाली, ठोस ईंधन से चलने वाली, कैनिस्टर-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल है जिसे मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से कहीं भी तैनात किया जा सकता है। इसका कैनिस्टर-आधारित डिज़ाइन इसे तेज़ी से लॉन्च करने योग्य बनाता है और इसकी गतिशीलता युद्ध के दौरान अत्यधिक लाभदायक होती है।
अग्नि प्राइम में उन्नत नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली लगाई गई है, जिससे यह मिसाइल उड़ान के दौरान खुद को दिशा में सुधार सकती है। इसके साथ ही इसमें Maneuverable Re-entry Vehicle (MARV) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे दुश्मन की रक्षा प्रणाली को चकमा देना संभव हो पाता है।
परमाणु क्षमता से लैस
अग्नि प्राइम परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है, जिससे भारत की 'न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता' (Minimum Deterrence) की नीति को और अधिक बल मिलता है। यह मिसाइल 1500 से 3000 किलो तक का पेलोड ले जा सकती है, जिससे यह सामरिक और रणनीतिक दोनों प्रकार के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम बनती है।
विकास और परीक्षण इतिहास
इस मिसाइल का विकास भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत किया गया है। इसका पहला सफल परीक्षण 2021 में हुआ था, जिसके बाद कई सफल परीक्षणों के ज़रिए इसकी विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को प्रमाणित किया गया है। परीक्षण में अग्नि प्राइम ने अपने लक्ष्य को सटीकता से भेदा और DRDO की तकनीकी उत्कृष्टता को दुनिया के सामने साबित किया।
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